Supreme Court: राघव चड्ढा मांगे राज्यसभा सभापति से बिना शर्त माफी

चीफ जस्टिस, डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यह फैसला सुनाया है कि राघव चड्ढा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से बिना शर्त प्रवर समिति के मामले पर माफी मांगे।

Supreme Court: राघव चड्ढा मांगे राज्यसभा सभापति से बिना शर्त माफी

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार, 3 नवंबर को निलंबित राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा के सभापति से माफी मांगने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस, डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यह फैसला सुनाया है कि राघव चड्ढा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से बिना शर्त प्रवर समिति के मामले पर माफी मांगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यसभा के सभापति आम आदमी पार्टी के सांसद की माफी पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे और जिसके बाद सभापति उनके निलंबन वापसी पर गौर करेंगे।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अब आप सांसद की याचिका पर सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद होगी। यहीं नहीं कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से इस मामले में आगे होने वाली प्रगति की जानकारी देने को भी कहा है।

सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा मामला

राज्यसभा से फर्जी हस्ताक्षर मामले में अनिश्चितकालीन अवधि के लिए निलंबित किये जाने के बाद राघव चड्ढा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

राघव के वकील ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राघव चड्ढा की तरफ से उनके वकील ने कहा कि राघव चड्ढा सभापति से माफी मांगने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही उनके वकील ने कहा कि इस पूरे मामले में आप सांसद राघव चड्ढा का सदन की गरिमा को चोट पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।

क्यों हुए थे निलंबित

आप नेता राघव चड्ढा पर आरोप लगा था कि उन्होंने दिल्ली सेवा विधेयक को चयन समिति के पास भेजने के प्रस्ताव में पांच सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर किये थे। इन्हीं आरोपों के चलते राघव चड्ढा को नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, अपमानजनक रवैये और अवमाननापूर्ण आचरण के तहत राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया था।

कब हुए थे निलंबित

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को निलंबित करने की घोषणा 11 अगस्त 2023 को की थी। जिसके बाद से राघव चड्ढा अभी तक राज्य सभा से निष्कासित चल रहे हैं।

पहले भी हो चुकी है सुनवाई

इस मामले में हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को नोटिस भेजा था। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी संसद प्रतिनिधि को लंबे समय तक के लिए निलंबित रखना उसके विशेषाधिकारों को ध्यान में रखते हुए उचित नहीं।

कौन थे 5 सांसद

वह पांच सांसद जिनके फर्जी हस्ताक्षर करे गए थे उनमें एस फांगनोन कोन्याक, नरहरि अमीन, बीजेपी के सुधांशु त्रिवेदी, एआईएडीएमके के एम थंबीदुरई और बीजेडी के सस्मित पात्रा शामिल थे।