Lata Mangeshkar Death Anniversary: स्वर कोकिला लता मंगेशकर की दूसरी पुण्यतिथि आज, 50 हजार गानों को दी आवाज़

हिंदुस्तान की बुलबुले हिंद, स्वर कोकिला लता मंगेशकर की मखमली आवाज की जादूगरी सिर्फ हिंदुस्तानियों पर ही नहीं बल्कि विदेशियों पर भी खूब चली। आज सुरों की मल्लिका लता दीदी की दूसरी पुण्यतिथि है।

Lata Mangeshkar Death Anniversary: स्वर कोकिला लता मंगेशकर की दूसरी पुण्यतिथि आज, 50 हजार गानों को दी आवाज़

Lata Mangeshkar Death Anniversary: हिंदुस्तान की बुलबुले हिंद, स्वर कोकिला लता मंगेशकर की मखमली आवाज की जादूगरी सिर्फ हिंदुस्तानियों पर ही नहीं बल्कि विदेशियों पर भी खूब चली। आज सुरों की मल्लिका लता दीदी की दूसरी पुण्यतिथि है और इस मौके पर उन्हें पूरा देश याद कर रहा है लता मंगेशकर की आवाज की खनक और अहसास रूह तक में बस जाया करती थी। उनका जीवन उपलब्धियों से भरा हैं, 

50 हजार गानों को दी आवाज़

उन्होंने अपने करियर में करीब 50 हजार गानों को अपनी आवाज़ से संवारा है। 30 से ज्यादा भाषाओं में गाने का रिकॉर्ड लता ने अपने नाम किया है।
कोई ऐसा सम्मान नहीं था जो लता दीदी को ना मिला हो। उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें 3 नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। 

फिर कभी लता मंगेशकर के रूप में जन्म नहीं लेना चाहती थीं लता 

आप सोच रहे होंगे कि इतनी ढेर सारी उपलब्धियों से भरी जिंदगी की चाहत भला किसे नहीं होगी, लेकिन ये जान कर आपको हैरानी होगी कि खुद लता दीदी...ऐसा नहीं चाहती थीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो लता मंगेशकर के रूप में फिर जन्म नहीं लेना चाहती। दरअसल उनके ऐसा कहने के पीछे की वजह थी...उनका वो संघर्ष, वो दुख और दर्द, जिसने उनका बचपन छीन लिया। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेली और ये फैसला उन्हों ने उस रात को लिया जब पूरे पूरे परिवार को भूखा सोना पड़ा था।
28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर जब 13 साल की थीं तब उनके पिता तब उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया। वो घर में बड़ी थीं, ऐसे में सारी जिम्मेदारियां उन्हीं के कंधों पर आ गईं और तभी से उन्होंने काम करना शुरु कर दिया। 

जब लता दीदी ने पहला अवॉर्ड लेने से कर दिया था इंकार

क्या आपको पता है कि लता मंगेशकर ने अपना पहला फिल्म फेयर अवार्ड लेने से मना कर दिया था। दरअसल उन्हें फिल्म मधुमति के गाने 'आजा रे परदेसी' के लिए बेस्ट प्लेबैक सिंगिंग अवॉर्ड मिला था, लेकिन उन्होंने ये अवॉर्ड इसलिये लेने से इंकार कर दिया था कि एक लेडी के आकार की ट्रॉफी पर कोई कपड़े नहीं थे। बाद में ये अवॉर्ड उन्हें ढंक कर दिया गया था।
जब लता की आवाज़ को कर दिया गया था रिजेक्ट

जब लता दीदी ने इंडस्ट्री में कदम रखा, तो कई लोगों ने उनकी आवाज को पतली कहकर रिजेक्ट कर दिया। उस वक्त इंडस्ट्री में नूरजहां और शमशाद बेगम जैसे लोगों का बोलबाला था। मगर, कुछ समय बाद लता दीदी ने सभी को पीछे कर दिया।
स्वर कोकिला लता दीदी का कंपैरिजन नूरजहां से किया जाता था। कहा ये भी जाता था कि अगर बंटवारे के दौरान नूरजहां पाकिस्तान नहीं जातीं तो लता दीदी का सिंगिंग करियर इतनी ऊंचाइयों पर नहीं होता। 

जब लता दीदी का गाना सुनकर रो पड़े थे पं. जवाहरलाल नेहरू

लता दीदी जब कोई सैड सॉन्ग गाती थीं तो उनकी आवाज में एक गजब की कसक हुआ करती थी। जो किसी की भी आंखे नम कर सकती थी। एक बार लता का गाना सुनकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी खुद को रोने से रोक नहीं पाए। यह घटना तब की है जब 1962 में चीन के हमले के बाद पूरा देश दर्द और निराशा में जी रहा था। इसी दौरान 26 जनवरी 1963 को लता दीदी से गुजारिश की गई कि वो 'ए मेरे वतन के लोगों’ गाने को अपनी आवाज दें। समय कम था, लेकिन इसके बावजूद वो इसके लिए राजी हो गईं। फ्लाइट में ही टेप रिकॉर्डर पर इसे थोड़ा-थोड़ा सुनकर प्रैक्टिस की। जब उन्होंने इसे गाने को अपने मधुर आवाज में पिरोया तो सामने बैठे पंडित जी समेत सभी अतिथियों की आंखें नम हो गईं।

लता की वो मोहब्बत जो कभी मुकम्मल नहीं हुई

ये सवाल आज भी लोगों के जहन में है कि लता दीदी ने शादी क्यों नहीं की। कहा जाता है कि वो किसी डूंगरपुर के राजघराने के महाराजा राज सिंह से मोहब्बत करती थीं, लेकिन उनकी लव स्टोरी को मंजिल नहीं मिल सकी। राज सिंह लता के भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर के दोस्त थे। उन्होंने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वो किसी आम घराने की लड़की से शादी नहीं करेंगे। यही वजह रही कि वो लता मंगेशकर से दूर रहे और शादी नहीं की। वैसे लता की तरह ही राज सिंह ने भी कभी शादी नहीं की। राज लता दीदी को हमेशा प्यार से मिट्ठू बुलाते 

इस फिल्म के लिए गाया था आखिरी गाना

आखिरी बार लता मंगेशकर ने फिल्म रंग दे बसंती में ‘लुका छिपी बहुत हुई गाने’ को अपनी आवाज दी। 6 फरवरी 2022 की ये वो तारीख थी जब स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अंतिम साल ली। इस दुनिया को अलविदा कहने से पहले उन्होंने कई हिट और क्लासिक गाने दिए, जो हमेशा के लिए सदाबहार हो गए।