Shopping Fraud: अगर आप धोखाधड़ी के हुए हैं शिकार, तो ये जानकारी होगी मददगार
अगर खरीददारी के दौरान थोड़ी सावधानी बरती जाए तो कोई भी सबूत या कागजात के सहारे आप संबंधित कंपनी, फर्म या विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, क्योंकि उपभोक्ता न्यायालय से तुरंत और आसानी से न्याय पाया जा सकता है।
Shopping Fraud: हर पल बदलने वाली आधुनिक दुनिया में हर व्यक्ति अपने कामों में व्यस्त रहता है। बहुत बिजी रहने के बीच भी व्यक्ति को शॉपिंग करनी ही पड़ती है। जब भी मौका मिलता है व्यक्ती अपनी जरूरत और जेब के मुताबिक खरीदारी करता हैं। इस दौरान कोई प्रोडक्ट या किसी कंपनी की सेवा लेने में जालसाजी होना भी आम बात है। व्यक्ति अंजाने में आसानी से जालसाजी का शिकार भी हो जाता है। कभी प्रोडक्ट खराब निकलता है तो, कभी कंपनी धोखा देकर चली जाती है। इसके अलावा नामचीन ब्रांड के प्रोडक्ट रिप्लेस या रिटर्न नहीं हो पाते। लेकिन आप परेशान ना हो, इन समस्याओं को भी हल किया जा सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इन परेशानियों से कैसे मुक्ती पाए। आज का लेख मतलब की खबर में आपको इस हल बताएंगे।
अगर खरीददारी के दौरान थोड़ी सावधानी बरती जाए तो कोई भी सबूत या कागजात के सहारे आप संबंधित कंपनी, फर्म या विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, क्योंकि उपभोक्ता न्यायालय से तुरंत और आसानी से न्याय पाया जा सकता है। खास बात यह है कि इसके लिए आपको किसी वकील की सेवा लेने की भी जरूरत नहीं है। कन्ज्यूमर कोर्ट आम आदमी की शिकायत और पैरवी पर उपचारात्मक मुआवजा तो दिलाता ही है, साथ ही जरूरत पड़ने पर वह संबंधित दूसरे पक्ष के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी करता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम से कई सारे अधिकार मिलते हैं।
आइये जानते हैं क्या है उपभोक्ता न्यायालय और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम...
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में एक उपभोक्ता के लिए छह अधिकार शामिल किये गए हैं। जिसमें सुरक्षा का अधिकार, सूचित होने का अधिकार, चुनने का अधिकार, सुने जाने का अधिकार, निवारण का अधिकार और उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार शामिल हैं।
जिला, राज्य और राष्टीय स्तर पर होती है सुनवाई
जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम या आयोग, राज्य स्तर पर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग या राष्ट्रीय आयोग में ग्राहक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। छोटे मामले जिला स्तर, थोड़े बड़े मामले राज्य और उससे भी बड़े मामले राष्ट्रीय स्तर पर सुने जाते हैं।
आर्डर, बुकिंग, पेमेंट रशीद समेत स्क्रीन शॉट्स भी मान्य
दरअसल, आजकल ऑनलाइन प्लेटफार्म पर खरीद-फरोख्त का चलन काफी बढ़ गया है। ऐसे में अगर ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए आपसे कोई धोखाधड़ी कर रहा है तो, इसकी शिकायत भी की जा सकती है। शिकायत में आपको वह दस्तावेज लगाने होंगे, जिसके माध्यम से पता चल सके कि आपके साथ धोखाधड़ी हुई है। भले ही वह आर्डर, बुकिंग, पेमेंट आदि के स्क्रीन शॉट्स ही हों। अगर आप भी शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं और आपको जिला मंच की जानकारी नहीं है तो NCDRC की वेबसाइट http://ncdrc.nic.in से जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
रसीद न होने पर भी कर सकते हैं शिकायत
अगर उपभोक्ता के पास कोई रसीद नहीं है तो वह शिकायत करने और अपनी बातों को न्यायालय के सामने ले जाने से हिचकिचाता हैं। अक्सर लोग यही सोचते हैं कि अगर कोर्ट चले भी गए तो साबित कैसे करेंगे। यहां ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है क्योंकि रसीद न होने पर अन्य सबूतों को सेकेंडरी एविडेंस में दाखिल किया जा सकता है। आपके हितों की रक्षा कर सकते हैं। कोई आपको रसीद दे या न दे, आप रसीद मांगे। रसीद न होने पर कोई विजिटिंग कार्ड, पर्ची या हाथ से तैयार की गई कोटेशन को भी लगा सकते हैं। जिस पर दुकानदार ब्रिकी के समय आपको तरह तरह के ऑफर देता है। इस तरह के दस्तावेजों को कोर्ट मानता है। वहीं, कई बार ऐसा होता है कि सर्विस के लिए कागज जारी हुए है लेकिन कहीं गुम हो गए हैं। ऐसे में थोड़े बहुत सबूतों के आधार पर शिकायत तो दर्ज हो ही जाती हैं और कोर्ट को लगता है कि शिकायत सही है तो वो दूसरी पार्टी से भी कागजात ले सकता है।