Pitru Paksha Tips: पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये 10 काम, पूर्वज हो जायेंगे नाराज
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान पिंडदान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है की ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा हमेशा आपके परिवार पर बनी रहती है। लेकिन इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है।
Pitru Paksha Tips: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दौरान पिंडदान करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है की ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा हमेशा आपके परिवार पर बनी रहती है। लेकिन इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। जैसे की नया वाहन, मकान, कपड़े आदि की खरीदारी करना या मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह और सगाई जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक लगाई जाती है। आमतौर पर इस दौरान पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है पितृ पक्ष की अवधि 15 दिन की होती है। तो आज हम आपको बताएंगे की इन 15 दिनों में ऐसे कौन - कौन से काम हैं जो बिल्कुल नहीं करने चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान भुल के भी न करें ये 10 काम-
- पितृ पक्ष के दौरान बाल, दाढ़ी या नाखुन नहीं काटना चाहिए।
- पितृ पक्ष में कोई भी नया समान खरीदने की मनाही होती है।
- पितृ पक्ष के दौरान कोई भी नया बिज़नेस शुरू नही करना चाहिए।
- पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ काम न करें जैसे शादी-विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश।
- पितृ पक्ष में शराब, तंबाकु या धम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए।
- ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध के दिन बाल धोने से पितरों का अपमान होता है।
- पितृ पक्ष में तामसिक चीज़ों का सेवन वर्जित है।
- पितृ पक्ष में सरसों के तेल का दान, वस्त्रों का दान, लोहे की चीज़ों का दान , नुकीली चीज़ों का दान भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- पितृ पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- पितृ पक्ष में मांसाहार, पान, बैंगन, प्याज ,लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, लौकी, मूली, काला नमक, सत्तू , जीरा, मसूर की दाल, सरसों का साग आदि वर्जित माना गया है।
ऐसे करें श्राद्ध में पूजा
शास्त्रों के अनुसार सुबह और शाम को देवी-देवताओं के लिए पूजा-पाठ की जाती है। दोपहर का समय पितरों को समर्पित है। दोपहर में करीब 12 बजे पितरों को याद करते हुए श्राद्ध की पूजा करें। पितरों को भोजन देने के लिए सूर्य की किरणों को जरिया माना गया है। बते दें कि, श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण मुहूर्त अच्छे माने गए हैं। इस दौरान ही कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ते को पंचबलि भोग देना चाहिए, ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए।