CBI VS Akhilesh: अवैध खनन-CBI और अखिलेश का क्या है कनेक्शन? अखिलेश बोले- ‘चुनाव के साथ नोटिस भी आएगा’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष, अखिलेश यादव CBI के सामने पेश नहीं होंगे। 2019 में दर्ज अवैध खनन मामले (illegal mining cases) में CBI ने 28 फरवरी को अखिलेश को समन भेजा था।
CBI VS Akhilesh: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष, अखिलेश यादव CBI के सामने पेश नहीं होंगे। 2019 में दर्ज अवैध खनन मामले (illegal mining cases) में CBI ने 28 फरवरी को अखिलेश को समन भेजा था। CBI ने उन्हें पूछताछ के लिए 29 फरवरी को दिल्ली बुलाया था, लेकिन वो दिल्ली नहीं जाएंगे। CBI ने अखिलेश को CRPC की धारा-160 के तहत नोटिस जारी किया था। इस धारा के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को जांच में गवाह के तौर पर बुलाया जा सकता है। वहीं समन मिलने के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने CBI के एक्शन पर सवाल उठाते हुए सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि, बीजेपी के सबसे ज्यादा निशाने पर सपा है। साल 2019 में भी मुझे नोटिस भेजा गया, उस वक्त भी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) था। जब चुनाव आएगा, तब नोटिस भी आएगा।
अखिलेश सरकार में धड़ल्ले से हुआ अवैध खनन!
दरअसल, यह मामला साल 2012-16 के दौरान अखिलेश यादव की सरकार से जुड़ा है। इस बीच राज्य में तेजी से अवैध खनन की खबरे सामने आ रही थी। जिसके खिलाफ 1 जनवरी 2019 को CBI के डिप्टी SP केके शर्मा (KK Sharma) ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसमे IAS बी. चंद्रकला (B. Moon phase), सपा के विधान परिषद सदस्य रमेश कुमार मिश्रा (Legislative Council member Ramesh Kumar Mishra) और बसपा के टिकट पर 2017 में चुनाव लड़ने वाले संजय दीक्षित (Sanjay Dixit) समेत 11 लोगों के नाम थे। तब CBI ने बी. चंद्रकला (B. Moon phase) के लखनऊ स्थित फ्लैट समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी।
मुख्यमंत्री रहते हुए खनन विभाग भी संभाल रहे थे अखिलेश
आरोप है कि 2012-16 के दौरान प्रदेश में अवैध खनन धड़ल्ले से किया जा रहा था। उस समय अखिलेश यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे और खनन विभाग भी संभाल रहे थे। आरोप है कि बड़े पैमाने पर किये गए अवैध खनन में विभाग के कई अधिकारी भी शामिल थे। अधिकारियों ने अवैध खनन की इजाजत दी। जिसपर NGT ने प्रतिबंध लगाया हुआ था। इसके बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण भी किया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CBI को दिये थे जांच के आदेश
यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी और पट्टाधारकों और चालकों से मोटी रकम भी वसूली। जिसके बाद अवैध खनन का मामला अदालत तक पहुंच गया। केस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने CBI को जांच के आदेश दिये। हाईकोर्ट के आदेश पर CBI ने मामले की जांच शुरू की। और 2016 में 7 मामले दर्ज किये। मामले की शुरुआती जांच में CBI ने कई अहम जानकारियां हासिल कीं। जिसके मुताबिक, तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (The then Chief Minister Akhilesh Yadav) के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उस वक्त अखिलेश यादव ही खनन विभाग संभाल रहे थे।
अखिलेश पर ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करने का आरोप
CBI ने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव ने ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए, 14 पट्टों को मंजूरी दी थी, जिनमें से 13 पट्टों को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी। इस पर सीबीआई ने दावा किया था कि 17 फरवरी 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन किया गया था। जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय (Chief Minister's Office) से हरी झंडी मिलने के बाद, हमीरपुर की डीएम बी. चंद्रकला (DM of Hamirpur B. Moon phase) ने पट्टे जारी किये थे।