Law Commission Recommendation : सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पंहुचाने वाले को, उसकी भरपाई के बाद ही मिलेगी जमानत
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों क्षति के बराबर धनराशि जमा करने के बाद ही जमानत मिलनी चाहिए।
Law Commission Recommendation : न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाले 22वें विधि आयोग ने सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम में संशोधन की सिफारिश करते हुए कहा है कि 1984 में पारित कानून अपने घोषित उद्देश्य सार्वजनिक संपत्ति के विनाश को रोकनेे में विफल रहा है। पैनल ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति का विनाश बिना रुके जारी है और कुछ वर्षों में विनाश का पैमाना केवल बढ़ा है, इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है और आम जनता को असुविधा हुई है।
पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वाला ही करेगा उसकी भरपाई
विधि आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए अपनी 284वीं रिपोर्ट तैयार की और विभिन्न प्रासंगिक संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों, देश भर की अदालतों द्वारा कई न्यायिक घोषणाओं व सार्वजनिक संपत्ति के बड़े पैमाने पर विनाश से जुड़ी घटनाओं का विश्लेषण करने के बाद विषय का व्यापक अध्ययन किया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों क्षति के बराबर धनराशि जमा करने के बाद ही जमानत मिलनी चाहिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार
1948 में संसद ने सार्वजनिक संपत्ति पर निर्देशित बर्बरता के कृत्यों को अपराध घोषित करते हुए 'सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम' अधिनियमित किया। 2009 में, सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक संपत्ति के विनाश का स्वत: संज्ञान लिया और न्यायमूर्ति के.टी. थॉमस के नेतृत्व वाली समिति और फली एस. नरीमन के नेतृत्व वाली समिति द्वारा प्रस्तुत दो रिपोर्टों के आधार पर कुछ दिशानिर्देश जारी किए। आयोग ने कहा कि भारत में अदालतें भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के एक पहलू के रूप में विरोध के अधिकार को मान्यता देने में सबसे आगे रही हैं और साथ ही, आगाह किया कि इस तरह के अधिकार का प्रयोग संयम के साथ किया जाना चाहिए।
अपनी रिपोर्ट में, कानून पैनल ने सार्वजनिक संपत्ति के लंबे समय तक जानबूझकर अवरोध के मुद्दे से निपटने के लिए एक अलग कानून लाने या भारतीय न्याय संहिता या भारतीय दंड संहिता में संशोधन करने की भी सिफारिश की।