Nomination Procedure: क्या है नामांकन की पूरी प्रक्रिया और क्यों खारिज होता है नामांकन !
Nomination Procedure: चुनावी मौसम के बीच मतदान जोरों पर है। चार चरणों की वोटिंग हो चुकि है और तीन चरण अभी भी बाकी हैं। सातवें चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। नाम वापसी और स्क्रूटनी का प्रोसीजर अभी चल रहा है। नामांकन करने से लेकर पर्चा खारिज होने तक कैसे होती है ये चुनावी प्रक्रिया? आज हम मतलब की खबर में इसी बारे में बात करेंगे।
Nomination Procedure: हाल ही में मिमिक्री आरटिस्ट मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला का वाराणसी से नामांकन खारिज हो गया है। श्याम ने नामांकन के साथ शपथ पत्र नहीं दिया था। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि श्याम रंगीला ने कौन सी गलती की मतलब ये कि लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी कैसे अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के लिए नामांकन दाखिल करते हैं और चुनाव आयोग इन प्रत्याशियों से कौन-कौन सी जानकारी मांगता है। जब कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान होता है। तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर सभी प्रत्याशीयों को इस बात की जानकारी देते हैं। इसी के बाद कैंडिडेट्स डीएम के ऑफिस में अपना-अपना नामांकन दाखिल करते हैं। इस दौरान जिले का मुख्य निर्वाचन अधिकारी खुद डीएम ही होता है।
हाल ही में मिमिक्री आरटिस्ट मिमिक्री आर्टिस्ट श्याम रंगीला का वाराणसी से नामांकन खारिज हो गया है। श्याम ने नामांकन के साथ शपथ पत्र नहीं दिया था। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि श्याम रंगीला ने कौन सी गलती की मतलब ये कि लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी कैसे अपनी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने के लिए नामांकन दाखिल करते हैं और चुनाव आयोग इन प्रत्याशियों से कौन-कौन सी जानकारी मांगता है। जब कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान होता है। तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर सभी प्रत्याशीयों को इस बात की जानकारी देते हैं। इसी के बाद कैंडिडेट्स डीएम के ऑफिस में अपना-अपना नामांकन दाखिल करते हैं। इस दौरान जिले का मुख्य निर्वाचन अधिकारी खुद डीएम ही होता है।
सारे डॉक्यूमेंट्स की होती है जांच
अब बात डॉक्यूमेंट्स से रिलेटड कुछ बातें कर लेते हैं। सबसे पहली चीज चुनाव आयोग उम्मीदवार के सभी डॉक्यूमेंट की जांच करता है। अगर आयोग को किसी भी डॉक्यूमेंट में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी की उम्मीदवारी भी निरस्त कर सकता है। प्रत्याशी चुनाव मैदान में तभी वोट मांगने के लिए प्रचार-प्रसार कर सकते हैं, जब उनकी उम्मीदवारी चुनाव आयोग रजिस्टर्ड घोषित कर दे। इसके बाद तो सबकुछ पब्लिक के ही भरोसे होता है।
वोटर लिस्ट में होना चाहिए नाम
लोकसभा चुनाव की तारीखों के घोषणा के साथ ही नामांकन पत्र भरने के प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। इसके तहत कोई भी भारतीय नागरिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरकर चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी कर सकता है। इसके लिए शर्त होती है कि उसका नाम वोटर लिस्ट में हो। देश की राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित करती हैं। अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारती हैं। इसे ही पार्टी का टिकट मिलना भी कहते हैं। नामांकन के दौरान प्रत्याशी पार्टी के सिंबल के साथ नामांकन पत्र जमा करते हैं। इसके बाद इलेक्शन कमीशन उनको उसी संबंधित पार्टी का चुनाव चिह्न देता है।
शपथ पत्र में देनी होंगी सभी जानकारियां
नामांकन करने वाले प्रत्याशी को उम्मीदवार को नामांकन पत्र जमा करते समय एक नोटरी बेस पर बना शपथ पत्र भी जमा करना होता है। इस शपथ पत्र में अपने इनकम से लेकर हर एक जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है। साथ ही सुनिश्चित करना होता है कि उसकी दी हुई हर जानकारी सही है। इस दौरान प्रत्याशी को पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी जैसे दस्तावेज चुनाव आयोग को देने होते हैं।
एजुकेशन क्वालिफिकेशन की देनी होती है जानकारी
इसके अलावा उम्मीदवार के पास कितने हथियार हैं, कितने जेवरात हैं, शैक्षणिक योग्यता जैसी जानकारी भी देनी होती है। कमाई के साधनों को भी नामांकन पत्र में बताना होता है। इसके अलावा उम्मीदवार पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं? कितने मामले में कोर्ट केस चल रहा है? कितने केस में सजा हुई है, ऐसी जानकारी भी बतानी होती है। इन सभी मामलों की जानकारी शपथ पत्र के जरिए देनी होती है।
नामांकन वापस लेने का भी है प्रोसेस
जब प्रत्याशी नामांकन पत्र दाखिल कर देते हैं, इसके बाद चुनाव आयोग प्रत्याशियों द्वारा दी गई हर जानकारी की बारीकी से जांच करता है। इस पूरे प्रोसेस को स्क्रूटनी कहा जाता है। नामांकन के बाद नाम वापसी के लिए भी आयोग कुछ दिन अलग से तय करता है। इस समय तक उम्मीदवार अगर चाहे तो चुनाव से अपना नाम वापस भी ले सकता है। लेकिन चुनाव आयोग के हिसाब से नामांकन पत्र को सही से भरा जाना चाहिए, अगर नॉमिनेशन पेपर्स में कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे में नामांकन पत्र को अवैध मानकर उम्मीदवारी को तुरंत निरस्त भी कर दिया जाता है।