Adani Bribery case: अडाणी रिश्वत मामले पर बोले CM चंद्रबाबू नायडू- ‘आंध्र प्रदेश बदनाम हुआ, हम जल्द एक्शन लेंगे’

बीजेपी की सहयोगी पार्टी तेलगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अडाणी रिश्वत मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

Adani Bribery case: अडाणी रिश्वत मामले पर बोले CM चंद्रबाबू नायडू- ‘आंध्र प्रदेश बदनाम हुआ, हम जल्द एक्शन लेंगे’

Adani Bribery case: बीजेपी की सहयोगी पार्टी तेलगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अडाणी रिश्वत मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। चंद्रबाबू नायडू ने विधानसभा में कहा कि अडाणी रिश्वत मामले से आंध्र प्रदेश बदनाम हुआ है। 

हम जल्द एक्शन लेंगे- चंद्रबाबू नायडू 

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विधानसभा में कहा कि अडाणी रिश्वत मामले की चार्जशीट हमारे पास पहुंची है। हम जल्द एक्शन लेंगे। सभी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। ऐसे अपराध तब तक दोहराए जाएंगे, जब तक ऐसे काम करने वालों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता। 

न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में केस दर्ज 

दरअसल, उद्योगपति गौतम अडाणी पर गुरुवार (21 नवंबर) को अमेरिका में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए रिश्वत देने और धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं।  न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में यह केस दर्ज हुआ था। 

जगनमोहन रेड्‌डी के खिलाफ जांच हो- बीजेपी विधायक 

आरोप है कि अडाणी 2021 में आंध्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्‌डी से मिले और राज्य सरकार 7 हजार मेगावाट बिजली खरीदने के लिए राजी हो गई। इसके लिए आंध्र के अफसरों को 1750 करोड़ रुपए घूस दी गई। आंध्र प्रदेश के बीजेपी विधायक पी विष्णु कुमार राजू ने भी मांग की है कि राज्य सरकार जगन के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच शुरू करे। उन्होंने कहा कि आरोप बहुत गंभीर हैं और आरोपियों को नहीं बख्शा जाना चाहिए। 

पूरे राज्य को शर्मसार किया- पूर्व मंत्री 

इस मामले में पूर्व मंत्री सोमिरेड्डी चंद्र मोहन रेड्डी ने भी कहा कि सीबीआई और ईडी के बाद अब जगन के भ्रष्टाचार की जांच अमेरिकी एजेंसी एफबीआई कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग राजनीति में रहने लायक नहीं हैं। उन्होंने पूरे राज्य को शर्मसार किया है। उधर, जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने कहा कि हमने सीधे सेकी (केंद्र की कंपनी) से करार किया था, जो पारदर्शी और कानूनी रूप से मंजूर था। इसमें अडाणी या कोई निजी कंपनी शामिल नहीं थी।