Birth anniversary of kaal bhairav: काल भैरव की जयंती आज, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा करने की विधि

भगवान शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है। वैसे तो भैरव भगवान शिव का उग्र रूप हैं, लेकिन कई जगहों पर इन्हें भगवान शिव का पुत्र भी माना जाता है। मान्यताएं तो ऐसी भी हैं कि शिव के मार्ग पर चलने वालों को भैरव कहा जाता है। इनकी पूजा से भय और अवसाद का नाश होता है। आज यानी 22 नवंबर को काल भैरव जयंती है।

Birth anniversary of kaal bhairav: काल भैरव की जयंती आज, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा करने की विधि

Birth anniversary of kaal bhairav: भगवान शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है। वैसे तो भैरव भगवान शिव का उग्र रूप हैं, लेकिन कई जगहों पर इन्हें भगवान शिव का पुत्र भी माना जाता है। मान्यताएं तो ऐसी भी हैं कि शिव के मार्ग पर चलने वालों को भैरव कहा जाता है। इनकी पूजा से भय और अवसाद का नाश होता है। आज यानी 22 नवंबर को काल भैरव जयंती है। यह पर्व हर वर्ष मार्ग शीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। साथ ही घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है।

शुभ मुहूर्त  

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आज यानी 22 नवंबर के दिन संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और 23 नवंबर को संध्याकाल 07 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव की पूजा और व्रत किया जाएगा।

भैरव के अलग-अलग स्वरूप और विशेषता

शास्त्रों में भैरव के अनेक रूपों का वर्णन किया गया है। असितांगभैरव, रुद्रभैरव, बटुकभैरव और कालभैरव आदि। मुख्य रूप से बटुक भैरव और काल भैरव स्वरूप की पूजा और साधना सर्वोत्तम मानी जाती है। बटुक भगवान भैरव का बाल रूप हैं। इन्हें आनंद भैरव भी कहा जाता है। इस सौम्य स्वरूप की पूजा से शीघ्र फल मिलता है।काल भैरव उनका साहसिक युवा रूप है। इनकी पूजा से शत्रुओं से मुक्ति, संकटों से मुक्ति और मुकदमे में विजय मिलती है। असितांग भैरव और रुद्र भैरव की पूजा बहुत विशेष है, जिसका प्रयोग मुक्ति मोक्ष और कुंडलिनी जागरण के दौरान किया जाता है।

कैसे करें काल भैरव की उपासना? 

भगवान भैरव की पूजा शाम के समय करना सर्वोत्तम है। उनके सामने एक बड़े दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद प्रसाद के रूप में उड़द या दूध से बनी चीजें चढ़ाएं। विशेष कृपा के लिए उन्हें शर्बत या सिरके का भोग लगाएं। तामसिक पूजा करते समय भैरव देव को शराब भी चढ़ाई जाती है। प्रसाद चढ़ाने के बाद भगवान भैरव के मंत्रों का जाप करें।

करण

आज यानी 22 नवंबर के दिन बव और बालव करण का संयोग बन रहा है। सबसे पहले बव करण का निर्माण हो रहा है। इसके बाद बालव करण का निर्माण हो रहा है। दोनों ही करण शुभ माने जाते हैं। इन योग में शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। इन योग में शुभ कार्य करने से साधक पर काल भैरव देव की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के सकल मनोरथ पूर्ण होंगे।