Cotton candy: बुढ़िया के बाल बन सकते है आपके बच्चे के लिए काल !
शायद ही कोई बच्चा होगा जिसने कॉटन कैंडी का स्वाद नहीं चखा होगा। हम और आप भी बचपन के इसके लिए खूब डिमांड करते थे।फेरी वाला जब लेकर आता था तो उसके पीछे भागते थे।लेकिन अगर अगली बार आपके बच्चें इसकी डिमांड करें और आप उसे दिलाने के लिए तैयार हो उससे पहले जरा इस खबर को देख लें।
Cotton candy: शायद ही कोई बच्चा होगा जिसने कॉटन कैंडी का स्वाद नहीं चखा होगा। हम और आप भी बचपन के इसके लिए खूब डिमांड करते थे।फेरी वाला जब लेकर आता था तो उसके पीछे भागते थे।आज भी बच्चों का पसंदीदा होता है कॉटन कैंडी। आपके घर में भी बच्चे होंगे वह भी कॉटन कैंडी देख कर खाने की जिद्द करते होंगे और आप उनकी जिद्द को पूरा भी करते होंगे। लेकिन अगर अगली बार आपके बच्चें इसकी डिमांड करें और आप उसे दिलाने के लिए तैयार हो उससे पहले जरा इस खबर को देख लें।आज हम बात करेंगे की आखिर कॉटन कैंडी से बच्चो को क्या नुकसान हो सकता है।
कैंडी का कलर है नुकसानदायक
बच्चों को रंग बिरंगी कॉटन कैंडी काफी पसंद आती है। इसलिए बाजारों में ब्लू, येलो, रेड, ग्रीन और पिंक कलर की कॉटन कैंडी बिकने लगीं लेकिन कॉटन कैंडी को कलर देने के लिए जिस केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे रोडामाइन-बी कहा जाता है। यह एक डाई केमिकल होता है, जिसका इस्तेमाल कपड़े और लेदर इंडस्ट्रीज में किया जाता है। लेकिन तमिलनाडु सरकार ने जब अपने यहां इस पर स्टडी कराई तो कॉटन कैंडी में रोडामाइन बी पाई गई। शनिवार को ही वहां की सरकार ने इसके इस्तेमाल पर बैन लगा दी है। तमिलनाडु के साथ ही पुडुचेरी में भी इसपर बैन लगाया गया है।
अब जानते है क्या है रोडामाइन-बी (Rhodamine-B)
1887 में इसे डिवेलप किया गया था।यह एक सिंथेटिक डाई केमिकल है। यह लेदर और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल होता है।इसके अलावा धूप, माचिस की तीली, कागज और कपड़े को कलर करने में इस्तेमाल होता है।अमेरिका में हुई स्टडी में बताया गया था कि रोडामाइन बी के इस्तेमाल से कैंसर होता है।लंबे समय तक इस्तेमाल किडनी और लिवर को भी डैमेज कर सकता है। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्टस की माने तोरोडामाइन-बी एक टॉक्सिक केमिकल है। यह फूड के जरिए ही इंसान के बॉडी तक पहुंचता है। लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाए तो यह पेट की लाइनिंग को प्रभावित करता है. लिवर खराब कर देता है। कई बार इसका इस्तेमाल मेडिकल यूज में भी होता है। लिम्फ का रंग पानी जैसा होता है, इसका फ्लो जानने के लिए डाई मिलाई जाती है ताकि जिस से गुजरे वहां का पता चल सके। बहुत ही मिनिमम डोज में होता है। आजकल स्ट्रीट फूड में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। चिली पोटैटो जैसे फूड में भी रोडामाइन बी का प्रयोग किया जा रहा है। फूड कलर करने में, फलों को रंगने में भी इस्तेमाल किया जाता है।