Kedarnath Yatra: कांग्रेस नेता राहुल गांधी का केदारनाथ में दूसरा दिन, आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का दर्शन-पूजन किया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी अपने तीन दिवसीय केदारनाथ दौरे पर हैं। जहां उनका एक अलग ही अंदाज देखने को मिल रहा है। पहले दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केदारनाथ धाम पहुंचकर मंदिर में लगी घंटी को बजाया। उसके बाद राहुल गांधी का तीर्थ पुरोहितों और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जोरदार स्वागत किया।
Kedarnath Yatra: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी अपने तीन दिवसीय केदारनाथ दौरे पर हैं। जहां उनका एक अलग ही अंदाज देखने को मिल रहा है। पहले दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केदारनाथ धाम पहुंचकर मंदिर में लगी घंटी को बजाया। उसके बाद राहुल गांधी का तीर्थ पुरोहितों और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने जोरदार स्वागत किया।
केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों ने सबसे पहले राहुल गांधी को टीका लगाया और फिर वो मंदिर में आगे बढ़े। इस दौरान लोगों ने राहुल गांधी को घेर लिया और राहुल गांधी ने सादगी के साथ लोगों से बात की। धाम में नंदी के सामने से बाबा केदार को नमन किया। इस दौरान उनके साथ मंदिर समिति के लोग भी साथ थे। इतना ही नहीं राहुल गांधी ने चाय भी बनाई और केदारनाथ में आए श्रद्धालुओं को उन्होंने चाय भी पिलाई और उनसे बातचीत की।
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राहुल गांधी केदारनाथ की संध्या आरती में भी शामिल हुए थे। अपने केदारनाथ दौरे के दूसरे दिन सोमवार को राहुल गांधी ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के दर्शन किए और पुजारी ने राहुल गांधी को वहां पूजा-अर्चना कराई।
केदारनाथ दौरे के दूसरे दिन राहुल गांधी ने भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया। केदारनाथ आए श्रद्धालुओं ने लाइन में लगकर भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। राहुल गांधी ने खुद श्रद्धालुओं को भोजन परोसा। राहुल गांधी के दौरे के दौरान कांग्रेस के तमाम नेता और कार्यकर्ता भी केदारनाथ पहुंचे हैं। कांग्रेस नेता और जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा ने कहा कि यह राहुल गांधी का धार्मिक कार्यक्रम है।
आपको बता दें कि नवंबर 2021 में पीएम मोदी ने केदारनाथ धाम में आदि शंकाराचार्य की मूर्ति की स्थापना की थी। इस मूर्ति की ऊंचाई 13 फीट है। प्रतिमा का वजन 35 टन है। आदि शंकराचार्य की ये मूर्ति कर्नाटक से बनकर केदारनाथ धाम पहुंचाई गई। इस प्रतिमा के लिए 130 टन वजन की भारी भरकम शिला चुनी गई थी। फिर उस शिला को तराशकर 35 टन वजनी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाई गई।