MP Bus Accident: गुना हादसे पर एमपी सरकार का एक्शन, अधिकारियों पर गिरी गाज

मध्यप्रदेश के गुना में बुधवार शाम को डंपर से टक्कर के बाद एक यात्री बस में आग लग गई थी। इस हादसे में 13 लोग जिंदा जल गए थे। 11 शव बस के अंदर और दो गेट के पास मिले थे। प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है।

MP Bus Accident: गुना हादसे पर एमपी सरकार का एक्शन, अधिकारियों पर गिरी गाज

MP Bus Accident: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के गुना बस हादसे में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने गुना कलेक्टर तरुण राठी और एसपी विजय कुमार खत्री के साथ ही परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा को हटा दिया गया है। आरटीओ रवि बरेलिया को सस्पेंड कर दिया गया है। दमकल के देर से पहुंचने के कारण चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर बीडी कतरोलिया को भी निलंबित कर दिया गया है।

हादसे में 13 लोग जिंदा जले

मध्यप्रदेश के गुना में बुधवार शाम को डंपर से टक्कर के बाद एक यात्री बस में आग लग गई थी। इस हादसे में 13 लोग जिंदा जल गए थे। 11 शव बस के अंदर और दो गेट के पास मिले थे। प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है। जानकारी के मुताबिक, अभी मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है। वहीं 16 लोग गंभीर रूप से झुलस गए हैं। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गुना के एसपी विजय कुमार खत्री ने बताया कि बस में करीब 30 सवारियां सवार थीं। बस के मालिक भानु प्रताप ठेकेदार हैं और भाजपा नेता विश्वनाथ सिकरवार के छोटे भाई हैं। विश्वनाथ भाजपा जिला उपाध्यक्ष रहे हैं।

राष्ट्रपति और पीएम ने जताया दुख

गुना बस हादसे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  (President Draupadi Murmu)और पीएम मोदी (PM Modi) ने दुख जताया है। राज्य के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार दोपहर गुना जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की और उनका हाल पूछा।

ना बस का रजिस्ट्रेशन हुआ था और ना ही बीमा

बता दें कि हादसा बुधवार रात लगभग साढ़े 8 बजे हुआ। बस गुना से आरोन की जा रही थी, इस दौरान सामने से आ रहे एक डंपर से बस की टक्कर हो गई।  टक्कर लगते ही सवारियों से भरी बस पलट गई और उसमें आग लग गई। वहीं दो-ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बस में लगी आग पर काबू पाया जा सका।

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परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, ना बस का रजिस्ट्रेशन हुआ था और ना ही बीमा। फिटनेस सर्टिफिकेट भी खत्म हो चुका था। जानकारी के मुताबिक, घायल यात्रियों के बयान के आधार पर बस मालिक भानु प्रताप सिकरवार, ड्राइवर और डंपर चालक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। एफआईआर में बस और डंपर चालकों के नाम नहीं लिखे हैं। केवल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज किए गए हैं।