VISHWAKARMA POOJA: कब मनाया जाएगा विश्वकर्मा पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
VISHWAKARMA POOJA: हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
VISHWAKARMA POOJA: हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को विश्वकर्मा जयंति मनाई जाती है, इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा
भगवान विश्वकर्मा को पहला इंजीनियर कहा जाता है,पौराणिक कथाओं के अनुसार नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की थी, ब्रह्माजी के निर्देश पर ही विश्वकर्मा जी ने पुष्पक विमान, इंद्रपुरी, त्रेता युग में लंका, द्वापर युग में द्वारिका और हस्तिनापुर, कलयुग में जगन्नाथ पुरी का निर्माण किया था। इसके साथ ही प्राचीन शास्त्रों में वास्तु शास्त्र, यंत्र निर्माण की विद्या,विमान विद्या आदि के बारे में भगवान विश्कर्मा ने ही जानकारी प्रदान की था।
कब है विश्वकर्मा पुजा
हर साल 17 सितंबर को भगवान विश्कर्मा की जयंती मनाई जाती है, दक्षिण भारत में ये पर्व सितंबर में मनाया जाता है, तो वहीं उत्तर भारत में इसे फरवरी के महीने में मनाई जाती है। कारीगर,फर्नीचर बनाने वाले,मशीनरी और कारखानों से जुड़े लोग भगवान विश्कर्मा की पूजा करते है और विश्कर्मा जयंती को धूमधाम से मनाते हैं।
विश्वकर्मा पूजा 2023 का शुभ मुहूर्त
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.50 मिनट से लेकर दोपहर 12.26 मिनट तक है।
वहीं दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक भगवान विश्कर्मा की पूजा की जा सकती है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा को बहुत महत्व दिया गया है,औद्योगिक जगत(industrial world) के लिए तो यह विश्वकर्मा पूजा विशेष महत्व रखती है। भारत के कई राज्यों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। मान्यता है कि विश्वकर्मा जयंती के दिन औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े उपकरणों,औजार,मशीनों की पूजा करने से कार्य में कुशलता आती है और साथ ही कारोबार फलता-फूलता है,घर में धन धान्य के साथ-साथ सुख समृद्धि की बढ़ोतरी होती है।
विश्वकर्मा पूजा के दिन करें इन मंत्रों का जाप
ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:
विश्वकर्मा पूजा विधि
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, इसके बाद भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठे और उसके बाद सबसे पहले गंगाजल से मूर्ति या उनके चित्र को स्नान कराएं , उसके बाद अक्षत, रोली, हल्दी, चंदन, फूल, रोली, मौली, फल-फूल, धूप-दीप, मिष्ठान आदि अर्पित करें, इसके बाद ॐ विश्वकर्मणे नमः मंत्र का 108 बार जप करें और फिर भगवान विश्वकर्मा की आरती करें।