Shanivar ka Upay : शनिदेव को करना है प्रसत्र तो शनिवार को करें ये उपाय, चमक जायेगी किस्मत

शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। ऐसे में आज के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्रों का जाप और कुछ उपाय कर सकते हैं।

Shanivar ka Upay : शनिदेव को करना है प्रसत्र तो शनिवार को करें ये उपाय, चमक जायेगी किस्मत

Shanivar ka upay: हिन्दू धर्म में हर दिन का अपना अलग महत्व होता है। उसी तरह शनिवार के दिन का भी अलग महत्व होता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव की पूजा अर्चना करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि शनिदेव को आप जितना प्रसत्र रखते है आपका जीवन उतना ही सुखमय बीतता है। वहीं अगर आपने शनि देव को क्रोधित कर दिया तो आपके जीवन में दुखों का पहाड़ टूट सकता है। आज हम आपको शनिदेव को प्रसत्र करने के कुछ उपाय व मंत्रों के बारे में बतायेंगे जिससे आपके ऊपर शनिदेव की कृपा की बरसात होने लगेगी।

क्या है शनि की साढ़े साती

शनि की साढ़ेसाती का अर्थ है साढ़े 7 साल का समय। शनि 12 राशियों को घूमने में 30 साल का समय लेते हैं यानी की शनि एक राशि में ढाई साल रहते हैं. "जब कुंडली में शनि चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि का गोचर प्रारंभ होता है तो इसी समय से उस राशि पर साढ़ेसाती शुरू होती है"। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करते हैं, तो उसे शनि की छोटी साढ़ेसाती कहते हैं। इसके अलावा शनि ग्रह किसी की कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें औऱ जन्म के चंद्र के ऊपर से गुजरे तब भी शनि की साढ़े साती होती है।

इन उपायों से करें शनिदेव को खुश

मान्यता है कि शनिदेव को पीपल का पेड़ प्रिय होता है, ऐसे में प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसत्र होते है।
शनिदेव को प्रसत्र करने के लिए पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और साथ ही “ऊं शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का उच्चारण करें। 
माना जाता है कि शनिवार को काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी रोटी खिलाने से कुंडली में राहु-केतु से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं। 

इन मंत्रों से करें शनिदेव को प्रसत्र

शनि महामंत्र- ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि का वैदिक मंत्र- ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
शनि गायत्री मंत्र­- ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
तांत्रिक शनि मंत्र- ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
शनि बीज मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।