Political Analysis: छत्तीसगढ़ में आसान नहीं बीजेपी की डगर; दांव पर लगी 'विजय' की प्रतिष्ठा

Political Analysis:

Political Analysis: छत्तीसगढ़ में आसान नहीं बीजेपी की डगर; दांव पर लगी 'विजय' की प्रतिष्ठा

Political Analysis: बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर 21 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। दो दिनों तक दिल्ली दरबार में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत दिग्गज नेताओं के मंथन के बाद 21 सीटों पर बीजेपी हाईकमान ने मुहर लगी दी है। हालांकि चर्चा ये भी है कि करीब आधी सीटों पर यानी 45 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए गए हैं। फिलहाल, बीजेपी ने 21 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं। 


इस लिस्ट में तीन वीआईपी सीटों को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है। पक्ष विपक्ष समेत जनता की नजर इन तीन सीटों पर है। पहली सीट की बात करें तो दुर्ग जिले से सांसद और सीएम भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल को पाटन विधानसभा से चुनावी मैदान में उतारा है। इस वजह से इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 कई मायनों में बेहद खास होगा। अब इस सीट पर विधानसभा चुनाव के मैदान में चाचा-भतीजे के बीच टक्कर होगी। ऐसे में ये सीट बेहद रोचक और अहम हो गई है। 


माना जा रहा है कि बीजेपी ने काफी सोच समझकर ये दांव खेला है। पाटन सीएम भूपेश बघेल की विधानसभा सीट है, वो यहां से विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी ने उनके ही गृह जिले दुर्ग से सांसद भतीजे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में अब सबकी नजरें यहां पर चाचा-भतीजे के चुनावी लड़ाई पर रहेगी। जहां सीएम भूपेश बघेल आक्रामक राजनीति के लिए जाने जाते हैं। वहीं उनके भतीजे सांसद विजय बघेल भी अपनी सधी हुई राजीनति के लिए फेमस हैं। वो अपने चाचा पर उसी अंदाज में वार करते हैं, जिस तेवर के साथ सीएम निशाना साधते हैं। 

विजय बघेल का सियासी सफर


विजय बघेल अपने चाचा भूपेश बघेल को एक बार विधानसभा चुनाव में पटखनी दे चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को हराया था। इसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने विजय बघेल को हराकर हिसाब-किताब बराबर कर लिया था।

सीएम भूपेश बघेल वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके बाद उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ा गया। साल 2018 में कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और भूपेश बघेल प्रदेश के सीएम बने।

2008 के भूपेश और आज के भूपेश में जमीन-आसमान का अंतर है। सीएम बनने के बाद उनका सरकार और संगठन दोनों में कद बढ़ा है। आज वो कांग्रेसशासित मुख्यमंत्रियों में सबसे ताकतवर सीएम हैं। ऐसे में विजय बघेल की राह आसान नहीं है। उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पाटन की जनता किस पर फूल बरसाएगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। 

बहरहाल, बीजेपी ने उन्हें पाटन से टिकट देकर एक पर प्रकार से दांव खेला है। यदि वो इसमें सफल होते हैं तो पार्टी में उनका कद बढ़ना तय है। यदि नहीं तो उन्हें दोबारा सांसदी का टिकट देकर संसद में भेजा जा सकता है। सबसे अहम बात ये है कि पार्टी ने  इस बार विजय बघेल को बीजेपी घोषणा पत्र समिति का चैयरमैन भी बनाया है। ऐसे में पार्टी में उनका कद और भी बढ़ गया है। इस बार उनके ही नेतृत्व में घोषणा पत्र तैयार किया जाएगा। 

दूसरी ओर रामानुजगंज से पूर्व सांसद रामविचार नेताम को टिकट दिया गया है। IAS की नौकरी छोड़कर बीजेपी  में आए ओपी चौधरी का खरसिया से टिकट काटकर महेश साहू को मौका दिया गया है। ऐसे में उनके भविष्य पर खतरा मंड़रा रहा है। हालांकि चर्चा है कि चंद्रपुर से उन्हें टिकट मिल सकता है। 

21 सीटों पर जातिगत फैक्टर


बीजेपी ने जो 21 सीट पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है। उसमें जातिगत समीकरण का विशेष ख्याल रखा गया है। इसी के आधार पर टिकट दिया है। एसटी, एससी और ओबीसी सीट का ध्यान रखकर टिकट दिया गया है। 21 सीटों में 9 सीटें SC/ST के लिए रिजर्व है। 10 सीटों पर ST और 1 सीट पर SC, एक सामान्य सीट पर आदिवासी चेहरे को मौका दिया गया है। जिन 21 सीटों पर भाजपा दिकट दिए हैं। वहां अधिकांश पर कांग्रेस का गढ़ रहा है। कई ऐसी सीटें हैं, जहां बीजेपी कम ही जीत पाई है। बीजेपी ने पिछली बार इन सीटों जिन्हें मौका दिया था, लगभग सभी जगहों पर बदल दिया गया है। 

बीजेपी की पहली लिस्ट जारी होने पर सीएम भूपेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लिस्ट में कुछ खास नहीं है। वहीं प्रत्याशी बनाए पर सांसद विजय बघेल ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि बीजेपी ने उन्हें पाटन से मौका दिया है। जनता के आशीर्वाद से भूपेश को पटखनी देंगे। हालांकि कौन, किसको मात देगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।