Allahabad Highcourt: वेडिंग में मिलने वाले गिफ्ट की बनानी होगी लिस्ट ! पति-पत्नी को करना होगा साइन
हाल ही में एक बड़ा अपडेट देखने को मिला और ये अपडेट इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से आया था जिसमें कोर्ट ने कहा कि शादी में मिले उपहारों की एक लिस्ट बननी चाहिए और उस पर दूल्हे और दूल्हन पक्ष के साइन होने चाहिए।
Allahabad Highcourt: हाल ही में एक बड़ा अपडेट देखने को मिला और ये अपडेट इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से आया था जिसमें कोर्ट ने कहा कि शादी में मिले उपहारों (wedding gifts) की एक लिस्ट बननी चाहिए और उस पर दूल्हे और दूल्हन पक्ष के साइन होने चाहिएं। हाईकोर्ट ने ऐसा फैसला एक मामले की सुनवाई करते हुए लिया। ऐसा करने से शादी के बाद होने वाले विवादों और केस-मुकदमों में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं कोर्ट ने सरकार से इस मामले में हलफनामा भी मांग लिया है। इसीलिए आज इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें समझेंगे-
शादी में मिलने वालों उपहार पर वर-वधू दोनों के होंगे साइन
सबसे पहली बात तो ये कि हमेशा ये खबर सुर्खियों में रहती है कि कैसे दहेज के मामले में लड़के वालों ने लड़की को दहेज को लेकर प्रताड़ित किया। इसके अलावा कई बार तो झूठे आरोप भी लगते हैं। ऐसे में कोर्ट का ये कहना है कि जब शादी से पहले म्यूचअल अंडरस्टैंडिंग से जब ऐसा होगा तो किसी भी तरह के मतभेद का सवाल ही नहीं पैदा होता। लेकिन फिर भी कोई विवाद होता भी है तो फ्यूचर में लगने वाले आरोपों पर रोक लगाई जा सकती है। इतना ही नहीं कोर्ट ने दहेज प्रतिशेध अधिनियम के तहत ये बात साफ कर दी कि ऐसा किया जाना चाहिए ताकि दूल्हे और दूल्हन को जो भी तोहफा या उपहार मिला है उसकी सूची बनाई जा सके।
इतना ही नहीं दहेज की मांग को लेकर आरोप लगाने वाले लोग अपनी अर्जी के साथ ऐसी लिस्ट क्यों नहीं लगाते। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम का उसकी पूरी भावना के साथ पालन होना चाहिए। अदालत ने कहा कि ये नियम बताता है कि दहेज और उपहारों में क्या अंतर है। शादी के दौरान लड़का और लड़की को मिलने वाले गिफ्ट्स को दहेज में नहीं शामिल किया जा सकता। अदालत ने कहा कि अच्छी स्थिति यह होगी कि मौके पर मिली सभी चीजों की एक लिस्ट बनाई जाए। इस पर वर और वधू दोनों के ही साइन भी हों। इससे भविष्य में लगने वाले बेवजह आरोपों को रोका जा सकेगा।
दहेज आरोपो को रोकना के लिए उठाया गया कदम
दरअसल, भारत में शादियों में गिफ्ट देने का रिवाज है। भारत की परंपरा को समझते हुए ही गिफ्ट्स को अलग रखा गया है। यही वजह है कि जब लिस्ट बन जाएगी, तो फिर बेवजह के आरोपों से बचा जा सकेगा। अकसर शादी के बाद विवाद होने पर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं। इसी पर कोर्ट ने ये भी बताया कि इस नियम के हिसाब से तो दहेज प्रतिषेध अधिकारियों की भी तैनाती की जानी चाहिए। लेकिन आज तक शादी में ऐसे अधिकारियों को नहीं भेजा गया। राज्य सरकार को बताना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों नहीं किया, जबकि दहेज की शिकायतों से जुड़े मामले खूब बढ़ रहे हैं। एक बात और भी है कि इलाहबाद हाईकोर्ट का ये स्टेटमेंट दहेज उत्पीड़न के मामलों को लेकर सही भी है। अकसर ऐसे मामले कोर्ट में आते तो हैं। लेकिन कभी सुलझ नहीं पाते क्योंकि विवाद किसी और बात का होता है। लेकिन आरोप दहेज का लगा दिया जाता है। इस तरह की सिचुएशन के लिए ये स्टेटमेंट सही है कहीं न कहीं ऐसा होना चाहिए।
NCRB के ये है आंकड़ें
अब आखिर में NCRB के आंकड़ों से समझ लेते हैं कि भारत में दहेज के मामले पिछले कुछ सालों में कितने आए। साल 2020 में दहेज के 10,366 केस दर्ज हुए थे। इसी तरह साल 2021 में ये बढ़कर 13,534 हो गए। इसके अगले ही साल 2022 में 13,479 दहेज के केस दर्ज हुए। दहेज के मामलों का ग्राफ भारत में काफी तेजी से बढ़ रहा है। दहेज लेना और देना दोनों ही सामाजिक अपराध है। इस पर रोक लगाने के लिए दहेज निषेध अधिनयम बना था, जिसकी धारा 3 के तहत दहेज लेने या फिर देने पर कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान है। लेकिन इसका गलत इस्तेमाल न हो इस पर गौर करते हुए ही कोर्ट ने ये फैसला लिया है।