SC-ST Reservation: एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, ‘राज्यों के पास उप-वर्गीकरण का अधिकार’

सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण पर गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों को एससी-एसटी रिजर्वेशन में जाति आधारित कोटा देने का अधिकार है।

SC-ST Reservation: एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, ‘राज्यों के पास उप-वर्गीकरण का अधिकार’

SC-ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एससी-एसटी आरक्षण (SC-ST reservation) पर गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों को एससी-एसटी रिजर्वेशन (SC-ST reservation) में जाति आधारित कोटा (caste based quota) देने का अधिकार है। 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने 6-1 के बहुमत से ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए फैसले को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है।

7 जजों की संवैधानिक बेंच ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की संवैधानिक बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai), जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे। बेंच ने कहा कि एससी कैटेगरी के अंदर ज्यादा पिछड़े लोगों को अलग से कोटा देने के लिए इनका उप- वर्गीकरण किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने फैसला में कहा कि शिक्षा और नौकरी में कम प्रतिनिधित्व के आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों के पास एससी-एसटी में रिजर्वेशन के लिए उप-वर्गीकरण करने की शक्तियां हैं।  

मानकों-आंकड़ों के आधार पर हो वर्गीकरण

सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने अपने फैसले में कहा कि आरक्षण के लिए एससी-एसटी में उप-वर्गीकरण का आधार राज्य के जरिए तय मानकों और आंकड़ों के आधार पर बनाया जाना चाहिए। कोर्ट अपने फैसले में ये भी कहा कि यदि राज्य सरकार एससी-एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण करना चाहती है तो वह पहले आंकड़े इकट्ठा करे। सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने पहले 8 फरवरी को मामले पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि राज्य सिलेक्टिव हुए तो तुष्टिकरण बढ़ेगा। 

जस्टिस चिन्नैया ने 2004 में दिया था फैसला

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एससी-एसटी में रिजर्वेशन (Reservation in SC-ST) को लेकर 20 साल पहले दिए गए अपने ही फैसले की समीक्षा कर रहा था। 2004 में जस्टिस चिन्नैया (Justice Chinnaiah) ने फैसला दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में आरक्षण के लिए उप-वर्गीकरण बनाने का अधिकार नहीं है।