SPERM & INFERTILITY : अगर आप भी कर रहे ये काम तो हो सकता है आपके स्पर्म काउंट को भारी नुकसान

यदि आप भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल हद से ज्यादा करते हैं और आप एक पुरुष हैं, तो आपको के लिए बड़ी जानकारी है। इन सबके अधिक इस्तेमाल से आपका स्पर्म काउंट कम हो सकता है और उसकी क्लालिटी खराब हो सकती है।

SPERM & INFERTILITY : अगर आप भी कर रहे ये काम तो हो सकता है आपके स्पर्म काउंट को भारी नुकसान

SPERM & INFERTILITY : दुनिया भर में पुरूषों में मेल इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ती जा रही है। पुरूषों के वीर्य में शुक्राणुओं की कमी के कारण ही उसकी साथी के गर्भवती होने की संभावना को कम करता है। पुरूषों में प्रजनन क्षमता को कमजोर होना अब बात होती जा रही है। विश्र्व स्वास्थ्य संगठान के मुताबिक 1816 करोड़ लोग इनफर्टिलिटी के शरीर हैं । एशियन जर्नल ऑफ फर्मास्युटिकल एंड रिसर्च के मुताबिक स्मार्टफोन, लेपटॉप, वाई फाई, कंपंयूटर के अधिक इस्तेमाल से आपका स्पर्म काउंट कम हो सकता है और उसकी क्लालिटी खराब हो सकती है। एक अध्ययन से पता चला है, कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्सर्जित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के अधिक इस्तेमाल से शुक्राणु की सघनता और कुल शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। 

यदि आप भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल हद से ज्यादा करते हैं और आप एक पुरुष हैं, तो आपको के लिए बड़ी जानकारी है। इन सबके अधिक इस्तेमाल से आपका स्पर्म काउंट कम हो सकता है और उसकी क्लालिटी खराब हो सकती है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन उत्सर्जित करने वाले मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से शुक्राणु की सघनता और कुल शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है।

स्पर्म काउंट कम होने से क्या होता है 

पुरूषों में स्पर्म की क्वलिटी खराब होने या स्पर्म काउंट कम हो, तो महिला को गर्भधारण करने में दिक्कत आती है । इसके अलावा वीर्य के अंदर स्पर्म में खराबी, कई तरह की स्वास्थ्या समस्याओं से भी हो सकती है, जैसे हाई ब्लड प्रेसर, हार्ट डिजीज, स्किन और ग्लैंड्लर विकार आदि। यदि पुरूष के स्पर्म में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम शुक्राणु हैं तो यह संख्या सामान्य से कम मानी जाती है। युवाओं में स्पर्म काउंट कम होने का कारण उनके हेल्थ और लाइफ जूझ रही हैं ।

 पुरुषों के दो ग्रुप पर हुई रिर्सच 

स्विट्जरलैंड में जिनेवा विश्वविद्यालय की एक टीम ने 2005 और 2018 के बीच इस विषय पर अध्ययन किया है।जिसमें 18 से 22 वर्ष की आयु के 2,886 स्विस पुरुषों को शामिल किया गया था। शोध के दौरान पुरुषों की दो टीम का डाटा लिया गया। एक ग्रुप में वे लोग थे जिन्हें फोन को दिन में एक ही बार इस्तेमाल करने की इजाजत थी और दूसरे ग्रुप पर फोन के इस्तेमाल को लेकर कोई पाबंदी नहीं थी। उन पुरुषों के ग्रुप में औसत शुक्राणु सांद्रता 56.5 मिलियन/ एमएल अधिक थी, जो सप्ताह में एक बार से अधिक अपने फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे। दिन में 20 बार फोन का इस्तेमाल करने वाले पुरुषों के ग्रुप की औसत शुक्राणु सांद्रता 44.5 मिलियन/एमएल थी। दोनों ग्रुप के बीच यह अंतर करीब 11 मिलियन का था। शोध में सामने आया कि फोन का अधिक इस्तेमाल वीर्य की गुणवत्ता,शुक्राणु एकाग्रता, कुल शुक्राणु संख्या,शुक्राणु गतिशीलता और शुक्राणु आकृति तीनों को प्रभावित करता है।

 50 वर्षों में 50 फीसदी तक तक कम हुई स्पर्म क्वालिटी

रिपोर्ट के मुताबिक स्पर्म क्वालिटी और काउंट कम होने के लिए सिर्फ फोन ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि जीवनशैली और पर्यावरण में बदलाव भी इसके लिए जिम्मेवार हैं। अभी तक सामने आए कई अध्ययनों से यही पता चला है कि पिछले पचास वर्षों में वीर्य की गुणवत्ता में कमी आई है। 50  साल पहले शुक्राणुओं की संख्या औसतन 99 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर थी जो कि अब 47 मिलियन प्रति मिलीलीटर हो गई है।

जेब में मोबाइल रखने से क्या होता है ?

स्वस्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जेब में ज्यादा देर तक मोबाइल रखने से शरीर पर रेडिएशन से होने वाला खतरा बढ़ जाता है । यह बैग में रखे मोबाइल से होने वाले नुकसान से दोगुना से लेकर सात गुना तक असर डाल सकता है । विश्र्व स्वास्थ्य संगठान के मुताबिक साल भर संबंध बनाने के बाद भी कोई पुरूष पिता बनने में अक्षसम हो तो इस पुरूषों की इनफर्टिलिटि कहते है। शोध में कहा गया है कि रेडियो तरंगों के विकिरण शुकाणुओं को कई तरहों से खराब करता है। चूंकि टेलीविजन, वाई फाई, फोन टावर, रडार, मोबाइल फोन, लेपटॉप, कंप्यूटर आदि से रेडियो तरंगों का उत्सर्जन होता है। इससे शुक्राणुओं की संखया कम हो सकती है, क्योकिं  ये तरंगे शरीर में शुक्राणुओँ के लिए जरूरी हार्मोन और एंटीऑक्सीडेंट्स एंजाइम को प्रभावित करती है।