Know your rights: पुलिस नही लगा सकती आपको हाथ जानें अपने अधिकार और नियम
किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए कुछ कानूनन परिस्थितियां होती है जैसे पुलिस बगैर कारण बताए किसी भी इंसान को गिरफ्तार नहीं कर सकती। कुछ स्पेशल कंडीशन को छोड़कर पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती साथ ही पुलिस स्पेशल ऑपरेशन को छोड़कर बिना वर्दी में भी गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
Know your rights: अक्सर आपने देखा होगा कि पुलिस कार पार्किंग को लेकर या हेलमेट न लगाने की वजह से लोगों को गिरफ्तार कर लेती है। उसकी बात को सुने बिना उसे अरेस्ट कर लिया जाता है। तो आज हम आपको बतायेंगे कि ऐसे वक्त पर क्या कर सकते है।
अगर किसी भी व्यक्ति को अगर हिरासत में लिया जाता है तो उसे सबसे पहले गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार है। मान लिजिए किसी की गिरफ्तारी होती है तो उसे 24 घंटे के अंदर कोर्ट में पेश होने का अधिकार है साथ ही उस व्यक्ति को अपना वकील रखने और किसी भी समय उससे मिलने का भी अधिकार होता है और इसके साथ ही गिरफ्तार व्यक्ति अपनी मेडिकल जांच कराने की भी मांग कर सकता है।
हिरासत और गिरफ्तारी में क्या अंतर होता है
अक्सर हम सुनते है की उस व्यकित को गिरफ्तार कर लिया गया या उसे हिरासत में ले लिया गया। लेकिन क्या आपको पता है कि ये दोनों चीजे एक दूसरे से अलग है। हिरासत और गिरफ्तारी में फर्क होता है। अक्सर लोग इसे एक ही समझ लेते हैं, बता दें कि हिरासत में व्यक्ति को पूछताछ के लिए कुछ घंटे के लिए थाने में रखा जाता है जबकि गिरफ्तारी में व्यक्ति किसी क्राइम का दोषी होता है या शक होने पर उसे जेल भेजा जाता है।
हर गिरफ्तार व्यक्ति को पहले हिरासत में लिया जाता है, पूछताछ या कोर्ट के आदेश के बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है। वहीं बता दें कि गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए व्यक्ति को लगभग एक जैसे अधिकार मिलते हैं। गिरफ्तार व्यक्ति की पहले जैसे मौलिक अधिकार की आजादी खत्म हो जाती है हालांकि उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए कुछ अधिकार होते हैं।
पुलिस कब किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती?
किसी भी व्यकित को गिरफ्तार करने के लिए कुछ कानूनन परिस्थितियां होती है जैसे पुलिस बगैर कारण बताए किसी भी इंसान को गिरफ्तार नहीं कर सकती। कुछ स्पेशल कंडीशन को छोड़कर पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती साथ ही पुलिस स्पेशल ऑपरेशन को छोड़कर बिना वर्दी में भी गिरफ्तारी नहीं कर सकती।
महिला को गिरफ्तार करने के नियम
महिला को गिरफ्तार करने के नियम अलग होते है। किसी महिला को केवल एक महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकती है। वहीं शाम होने के बाद या सुबह होने से पहले एक महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता (जब तक कि स्पेशल कंडीशन न हो) हालांकि स्पेशल कंडीशन में अगर रात में महिला को गिरफ्तार किया जाना है, तो महिला पुलिस अधिकारी को मजिस्ट्रेट से एक लिखित परमिशन लेनी होगी।
अगर महिला पुलिस नहीं है या उनके आने में देरी से जांच में रूकावट आ सकती है तो पुरूष पुलिस भी महिला को गिरफ्तार कर सकता है लेकिन गिरफ्तारी से ठीक पहले या बाद उसे अपने अरेस्ट मेमो में अपनी कार्रवाई और गिरफ्तारी की वजह बताना होगा।
हिरासत या गिरफ्तार करने के बाद क्या होती है पुलिस की जिम्मेदारियां
किसी भी व्यकित को गिरफ्तार या हिरासत में लेने से पहले कोर्ट के order के बिना पुलिस हथकड़ी नही पहना सकती। पुलिस किसी को भी 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नही रख सकती। साथ ही गिरफ्तारी की खबर परिवार को देना भी पुलिस का जिम्मेदारी होती है।वहीं पुलिस आपसे मारपीट नही कर सकती। गिरफ्तार व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थय की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। 48 घंटे के अंदर आरोपी की मेडिकल जांच कराना जरूरी होता है। पुलिस आरोपी को अपने वकील औऱ परिवार से मिलने से मना नही कर सकती है। पुलिस गिरफ्तारी के बाद किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं कर सकती।
इस संबंध में देश की सर्वोच्च न्यायालय की ओर से आदेश जारी किया गया है। पुलिस गिरफ्तारी के बाद थाने में मारपीट करती है तो इसे कस्टोडियल वायलेंस कहते हैं भारत में यह गैर-कानूनी है। पुलिस के पास मारपीट करने का अधिकार नहीं होता। पुलिस बिना न्यायालय के इजाजत किसी भी प्रकार से मारपीट नहीं कर सकती है। यदि पुलिस हिरासत या गिरफ्तारी के बाद किसी व्यक्ति के साथ मारपीट करती है तो धारा 190 क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 कानून के तहत मजिस्ट्रेट पुलिस के खिलाफ वारंट जारी कर देता है और उनकी गिरफ्तारी या कार्रवाई करने का आदेश भी दे सकता है। वायलेंस या मारपीट करने वाले पुलिस के खिलाफ IPC की धारा 330 एवं 331 में भी सजा का प्रावधान दिया गया है।
गिरफ्तार के बाद पुलिस थाने में मारपीट या वायलेंस करें तो कहां करे शिकायत
अगर इस दौरान पुलिस आपसे मारपीट करती है तो आप पुलिस के खिलाफ FIR दर्ज कर सकते है। जिसके लिए आप सीनियर पुलिस अधिकारी को शिकायत कर सकते है। इसकी शिकायत अगले दिन कोर्ट में मजिस्ट्रेट से कर सकते हैं। साथ ही पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी में भी पुलिस की शिकायत कर सकते हैं। पुलिस स्टेशन में यदि पुलिस FIR नहीं लिखती है तो इसकी शिकायत CRPC की धारा 156(2) के तहत सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस को की जा सकती है और अगर पुलिस के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो इस बात की शिकायत मजिस्ट्रेट कोर्ट में की जा सकती है।