Hemant Soren: झारखंड में एक बार फिर झारखंडियों की सरकार बनेगी- हेमंत सोरेन
झारखंड के पूर्व सीएम और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने शनिवार को अपने आवास पर झामुमो कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में एक बार फिर झारखंडियों की सरकार बनेगी।
Hemant Soren: झारखंड के पूर्व सीएम और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने शनिवार को अपने आवास पर झामुमो कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड (Jharkhand) में एक बार फिर झारखंडियों की सरकार बनेगी।
हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर साधा निशाना
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नाम का जिक्र किए बगैर उन्होंने कहा कि इनकी ताबूत में आखिरी कील ठोकने का वक्त आ गया है। वह वक्त भी आने वाला है, जब दीया लेकर ढूंढ़ने से भी उनका नामोनिशान नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में निर्धारित समय से पहले विधानसभा चुनाव (assembly elections) कराने की तैयारी चल रही है, लेकिन हम हमेशा और हर परिस्थिति में तैयार हैं। उन्होंने चुनौती भरे अंदाज में कहा कि आप कल चुनाव की घोषणा करें, परसों आपका सफाया हो जाएगा।
सच्चाई को कोई जंजीर से बांधकर नहीं रख सकता- हेमंत सोरेन
झामुमो नेता ने हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता ने उन्हें ऐसी लाठी मारी है कि उनकी कराह तक नहीं निकल पा रही है। जिन लोगों ने जाति, धर्म, अगड़ा-पिछड़ा, अमीर-गरीब के नाम पर एक-दूसरे को लड़ाने में डिग्री हासिल की है, उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। उन्होंने दोहराया कि केंद्र सरकार के खिलाफ कोई भी खड़ा ना हो पाये, इसकी जुगत भिड़ाई जा रही है। उसी का परिणाम है कि आज दिल्ली के मुख्यमंत्री जेल में बंद हैं। मुझे सुनियोजित तरीके से षड्यंत्र में फंसाकर पांच महीने तक जेल में रखा गया, लेकिन अदालत के फैसले के बाद मैं आज सबके बीच हूं। भगवान के घर में देर है, लेकिन अंधेर नहीं। सच्चाई को कोई हमेशा जंजीर से बांधकर नहीं रख सकता। सूरज-चांद को कोई भी बादल हमेशा के लिए नहीं ढक सकता।
कई आदिवासी और गरीब जेल में बंद- हेमंत सोरेन
सोरेन ने आगे कहा कि उन्होंने देखा कि जेल के अंदर कई ऐसे आदिवासी और गरीब हैं, जिन्हें षड्यंत्र के तहत भेजा गया है। उनकी स्थिति देखकर बेहद तकलीफ होती है। उन्होंने पड़ोस के राज्यों में आदिवासी सीएम बनाए जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड में मिली पराजय के चलते उन्हें ऐसा निर्णय लेना पड़ा, लेकिन हकीकत यह है कि वे आदिवासी के नाम पर केवल रबर स्टांप की भूमिका में हैं।