What To Do in Case of Earthquake: जानें क्या है भूकंप, और भूकंप आने पर क्या सावधानी बरतें

भूकंप एक ऐसी घटना है जो बिना किसी चेतावनी के घटती है और इसमें जमीन भयंकर रूप से हिलने लगती है। साधारण शब्दों में कहें तो भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन से होता है। भूकंप के दौरान अगर आप घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाएं, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के नीचे बैठ जाएं, और तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें।

What To Do in Case of Earthquake: जानें क्या है भूकंप, और भूकंप आने पर क्या सावधानी बरतें

What To Do in Case of Earthquake: भूकंप एक ऐसी घटना है जो बिना किसी चेतावनी के घटती है और इसमें जमीन भयंकर रूप से हिलने लगती है। साधारण शब्दों में कहें तो भूकंप का अर्थ पृथ्वी के कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने की वजह से तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं। भूकंप से जो तरंगें निकलती हैं उन्हें भूकंपीय तरगें कहा जाता है। यह तरंगें पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं जिसको ही भूकंप कहा जाता है। इन तरंगों को सिस्मोग्राफ (Seismograph) नामक उपकरण से मापा जाता है। पृथ्वी की सतह के नीचे का स्थान जहां भूकंप का केंद्र स्थित होता है, हाइपोसेंटर (Hypocenter) कहलाता है। पृथ्वी की सतह के ऊपर स्थित वह स्थान जहां भूकंपीय तरगें सबसे पहले पहुंचती है वह ऐपीसेंटर (Epicenter) कहलाता है।

क्यों आता है भूकंप 

हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत है जो वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।

कैसे नापा जाता है भूकंप

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है।

भूकंप आने पर क्या करें

भूकंप के दौरान अगर आप घर के अंदर हों तो जमीन पर झुक जाएं, किसी मजबूत मेज अथवा फर्नीचर के नीचे बैठ जाएं, और तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें जब तक कि भूकंप के झटके रुक न जाएं। यदि आपके पास कोई मेज या डेस्क न हो तो अपने चेहरे तथा सिर को अपने बाजुओं से ढक लें और बिल्डिंग के किसी कोने में झुक कर बैठ जाएं। शीशे, खिड़कियों, दरवाजों, दीवारों या ऐसी कोई भी चीज जो गिर सकती हो उससे दूर रहें। जब तक भूकंप के झटके न रुकें और बाहर जाना सुरक्षित न हो तब तक घर के अंदर ही रुके रहें।

एक शोध में यह पता चला है कि ज्यादातर चोटें तब लगती है जब घर के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह, या बाहर जाने का प्रयास करते हैं। यदि आप घर के बाहर हों तो जहां हों वहां से बिलकुल न हिलें। हालांकि बिल्डिंग, पेड़ों, स्ट्रीट लाइटों तथा बिजली/टेलीफोन आदि की तारों से दूर रहें।

भारत में भूकंप का खतरा

भारत की बढ़ती आबादी और इसमें लगातार बढ़ रहे निर्माण जैसे की बहुमंजिला अपार्टमेंट, बड़ी बिल्डिंगें, मॉल, सुपर मार्केट भारत को भूकंप के उच्च जोखिम क्षेत्र में रखते हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 15 सालों में देश ने 10 बड़े भूकंपों को झेला है जिनके कारण 20,000 से अधिक जानें गई हैं।