DHANTERAS POOJA VIDHI 2023 : धनतेरस पर इस विधि से करे धन के देवता, कुबेर को खुश ! जाने पूजा का शुभ मुहूर्त ,विधि

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त है। 

DHANTERAS POOJA VIDHI 2023 : धनतेरस पर इस विधि से करे धन के देवता, कुबेर को खुश ! जाने पूजा का शुभ मुहूर्त ,विधि

DHANTERAS POOJA VIDHI 2023 : ज्योतिषीय विधान और धार्मिक परंपरा के अंतर्गत कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक लगातार 5 पर्व होते हैं। शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है। इन पांच दिनों में यमराज, वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान, काली और गोवर्धन पूजा का विधान है। दीपावली रौशनी और रौनक का पर्व है। पांच दिवसीय इस पर्व का ना केवल सामाजिक महत्व है, बल्कि पौराणिक महत्व भी है। इस पर्व को लेकर भारत के हर प्रांत और क्षेत्र में कई तरह की धारणाएं हैं किंतु मूल रूप से इस पर्व के शास्त्रीय और पौराणिक महत्व की मान्यता है।

धनतेरस क्यों मनाया जाता है ? 

धनतेरस  का पर्व भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के दिन के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है, दिवाली से दो दिन पहले धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है।

धनतेरस पर खरीददारी का शुभ मुहूर्त 

धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना अच्छा माना जाता है। पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन आज यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 11 नवंबर की सुबह तक खरीददारी करने का शुभ मुहूर्त है। 

धनतेरस लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

धनतेरस के पावन पर्व पर भगवान गणेश, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर, शुक्रवार को शाम 5 बजकर 48 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। 

प्रदोष काल-:  17:30 से 20:08 तक

वृषभ लग्न काल-:17:48 से 19:44

धनतेरस पूजन की कुल अवधि 01 घंटा 56 मिनट है।

पंचांग के अनुसार किस दिन मनाए धनतेरस

धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। यहां उदयव्यापिनी त्रयोदशी से मतलब है कि, अगर त्रयोदशी तिथि सूर्य उदय के साथ शुरू होती है,तो धनतेरस मनाई जानी चाहिए। धन तेरस के दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में यमराज को दीपदान भी किया जाता है। अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल को स्पर्श करती है अथवा नहीं करती है तो दोनों स्थिति में दीपदान दूसरे दिन किया जाता है।

धनतेरस की पूजा विधि : 

मानव जीवन का सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ है, इसलिए आयुर्वेद के देव धन्वंतरि के अवतरण दिवस यानि धन तेरस पर स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए यह त्यौहार मनाया जाना चाहिए।

धनतेरस पर धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा का विधान है। षोडशोपचार यानि विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना। 

इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन (सुगंधित पेय जल), स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा आदि है।

धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है। इसी आधार पर इसे धन त्रयोदशी या धनतेरस कहते हैं।

इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए। क्योंकि धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है।

धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।

धनतेरस पर क्या खरीदना चाहिए ?

धनतेरस के दिन नई चीजे जैसे सोना,चाँदी, पीतल, खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन धनिया खरीदना और झाड़ू खरीदना भी बेहद शुभ होता है।

धनतेरस पर क्या खरीदें और क्या नहीं ? 

धनतेरस के दिन सोने, चांदी और पीतल की वस्तुओं और झाड़ू खरीदना शुभ होता है। इस दिन काले या गहरे रंग की चीजें , चीनी मिट्टी से बनी चीज़ें, कांच, एल्युमीनियम और लोहे से बनी चीजें नहीं खरीदनी चाहिए।

धनतेरस के दिन झाड़ू क्यों खरीदी जाती है और कौन सी झाड़ू खरीदे ?

धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने के पीछे मान्यता है। कहा जाता है कि, झा़ड़ू खरीदने से घर में माँ लक्ष्मी का आगमन होता है, घर से नकारात्मकता दूर होती है, और माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन फूल वाली झाड़ू यानी जिससे घर में झाड़ू लगाया जाता है, उसे खरीदें। मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन हमेशा विषम संख्या में (अर्थात1,3,5) ही झाड़ू खरीदनी चाहिए।