Covaxin Site Effects: कोवैक्सिन पर बीएचयू के अध्ययन को ICMR ने किया खारिज, कहा- गलत तरीके से किया गया अध्ययन

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किये गये उस हालिया अध्ययन को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोवैक्सिन ने स्ट्रोक और गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के दुर्लभ जोखिम को बढ़ाया है।

Covaxin Site Effects: कोवैक्सिन पर बीएचयू के अध्ययन को ICMR ने किया खारिज, कहा- गलत तरीके से किया गया अध्ययन

Covaxin Site Effects: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) यानी आईसीएमआर (ICMR) ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के नेतृत्व में किये गये उस हालिया अध्ययन को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोवैक्सिन ने स्ट्रोक और गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के दुर्लभ जोखिम को बढ़ाया है। 

ICMR ने ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को लिखा पत्र

आईसीएमआर ने न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा है कि वह बीएचयू के लेखकों द्वारा हाल ही में प्रकाशित कोवैक्सिन साइड इफेक्ट्स (Covaxin Side Effects) अध्ययन को वापस ले लें क्योंकि पेपर में शीर्ष अनुसंधान निकाय का नाम "गलत और भ्रामक रूप से" दिया गया है।

कोवैक्सिन पर प्रकाशित अध्ययन को वापस लेने को कहा

शीर्ष अनुसंधान निकाय (Apex Research Body) ने पत्र में लिखा कि आईसीएमआर (ICMR) इस अध्ययन से जुड़ा नहीं है और अनुसंधान के लिए कोई वित्तीय या तकनीकी सहायता प्रदान नहीं की है। इसमें आगे कहा गया कि इसके अलावा, आपने बिना किसी पूर्व मंजूरी या सूचना के कहा है कि आईसीएमआर ने अनुसंधान के लिए समर्थन दिया है, जो अनुचित और अस्वीकार्य है।

खराब तरीके से किया गया अध्ययन- ICMR

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल (Director General Dr. Rajiv Bahl) ने पत्र में कहा कि शीर्ष अनुसंधान निकाय को इस खराब तरीके से किये गये अध्ययन से नहीं जोड़ा जा सकता है, जिसका उद्देश्य कोवैक्सिन का "सेफ्टी अनैलिसिस" गलत तरीके से प्रस्तुत करना है। डॉ. बहल ने अध्ययन के लेखकों और जर्नल के संपादक से आईसीएमआर की सूचना को हटाने और शुद्धि-पत्र प्रकाशित करने के लिए कहा है। 

अध्ययन के लेखकों से स्पष्टीकरण भी मांगा 

डॉ. बहल ने लिखा कि हमने यह भी देखा कि आपने बिना अनुमति के इसी तरह के पिछले पेपरों में भी आईसीएमआर (ICMR) का नाम दिया है। उन्होंने अध्ययन के लेखकों से स्पष्टीकरण भी मांगा कि आईसीएमआर को उनके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए।