Constitution Bench Judgment 2024 : रिश्वत लेकर सदन में वोट करने वाले सांसद -विधायकों पर चलेगा मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को 1998 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें एमपी/एमएल को संसद या राज्य विधानसभा में वोट करने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर आपराधिक मुकदमे से छूट दी गई थी।
Constitution Bench Judgment 2024 : सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को 1998 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें एमपी/एमएल को संसद या राज्य विधानसभा में वोट करने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर आपराधिक मुकदमे से छूट दी गई थी। अपने फैसले में सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि सांसद/विधायक वोट देने या किसी विशेष तरीके से भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर अदालत में मुकदमा चलाने से छूट का दावा नहीं कर सकते।
अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत छूट
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस ए एस बोपन्ना, एम एम सुंदरेश, पी एस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और मनोज मिश्रा की संविधान पीठ ने कहा- हम 1998 में दिए गए जस्टिस पीवी नरसिम्हा के उस फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें जिसमें कहा गया था कि संसद और विधानसभा के सदस्य विधायिका में वोट या भाषण के लिए संविधान के अनुच्छेद 105(2) और 194(2) के तहत छूट का दावा कर सकते हैं। पीठ ने पिछले साल अक्टूबर में इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा कि रिश्वत लेने वाला आपराधिक काम में शामिल होता है। ऐसा करना सदन में वोट देने या भाषण देने के लिए जरूरत की श्रेणी में नहीं आता है। सांसदों का भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट कर देती है। हमारा मानना है कि संसदीय विशेषाधिकारों के तहत रिश्वतखोरी को संरक्षण हासिल नहीं है।
नोट के बदले वोट मामले में मुकदमा चलाने की छूट
1998 के अपने फैसले में पी.वी. नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 105 की पृष्ठभूमि में सांसदों को संसद में कही गई किसी भी बात या दिए गए वोट के संबंध में आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट प्राप्त है। इसी तरह की छूट राज्य विधानमंडल के सदस्यों को अनुच्छेद 194(2) द्वारा मिली हुई है।सुनवाई के दौरान, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने दलील दी थी कि सांसदों/विधायकों को दी गई छूट उन्हें रिश्वत लेने के लिए आपराधिक मुकदमे से नहीं बचा सकती।
सीता सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
2019 में, भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3-न्यायाधीशों की पीठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्य सीता सोरेन के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद इस मुद्दे को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था।