Ramlala SooryaTilak: अयोध्या में दिखा अदुभुत, अलौकिक नज़ारा, सूर्य की किरणों ने किया रामलला का तिलक

आज अयोध्या में एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। भगवान राम के जन्मदिन के शुभ अवसर पर आज रामलला का सूर्य ने भी तिलक किया।

Ramlala SooryaTilak: अयोध्या में दिखा अदुभुत, अलौकिक नज़ारा, सूर्य की किरणों ने किया रामलला का तिलक

Ramlala SooryaTilak: आज देश भर में रामनवमी (Ram Navami) का पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर आज अयोध्या (Ayodhya) में एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। भगवान राम के जन्मदिन के शुभ अवसर पर आज रामलला का सूर्य ने भी तिलक किया। सूर्य की किरणें करीब 4 मिनट तक रामलला के मस्तक पर चमकती रहीं। अयोध्या में मौजूद हजारों श्रृद्धालु इस अद्भुत, अलौकिक और अनोखे पल के गवाह बने। सूर्यदेव और प्रभु राम के मिलन के दौरान मंदिर में लगातार मंगलगीत, भजन, कीर्तन और जयघोष होते रहे।

सूर्य की किरणों ने ऐसा किया रामलला का तिलक

सूर्य की रोशनी मंदिर के तीसरे तल पर लगे पहले दर्पण पर पड़ी। यहां से रोशनी ने परावर्तित होकर पीतल की पाइप में प्रवेश किया और पीतल के पाइप में लगे दूसरे दर्पण से टकराकर 90 डिग्री पर पुनः परावर्तित हो गई। फिर पीतल की पाइप से जाते हुए यह किरण तीन अलग-अलग लेंस से होकर गुजरी। फिर लंबे पाइप के गर्भ गृह वाले सिरे पर लगे शीशे तक पहुंची। इसके बाद सूर्य की किरणे गर्भगृह में लगे शीशे से टकराते हुए सीधे रामलला के मस्तिष्क पर पड़ी और फिर सूर्य की किरणों ने रामलला के मष्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाया। ये सूर्य तिलक निरंतर 4 मिनट तक रामलला के मष्तिष्क पर प्रकाशमान रहा।

त्रेतायुग में भगवान राम के जन्म के समय बना था ऐसा संयोग 

बता दें कि इस वर्ष राम नवमी पूरे देश में बहुत ही खास है। क्योंकि अयोध्या में भव्य राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली राम नवमी है और आज ही भगवान राम का सूर्य ने तिलक किया। बता दें कि आज के दिन वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक सूर्य तिलक के दौरान 9 तरह के शुभ योग और कई ग्रहों का ऐसा संयोग बना है। ऐसा ही संयोग त्रेतायुग में भगवान राम के जन्म के समय पर बना था। आज 17 अप्रैल को रामलला के सूर्य तिलक के दौरान रवियोग, गजकेसरी, केदार, पारिजात, अमला, शुभ, सरल, काहल और वाशि योग बना। यानी प्रभु श्रीराम का सूर्य तिलक 9 शुभ योग में हुआ। 

सूर्य और शुक्र अपनी-अपनी उच्च राशि में उपस्थित

वहीं, ग्रहों का दुर्लभ संयोग भी बना। वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या में जब प्रभु राम का जन्म हुआ था तब सूर्य और शुक्र अपनी-अपनी उच्च राशि में थे और चंद्रमा भी स्वयं की राशि में उपस्थित थे। इस बार राम नवमी पर भी ऐसा शुभ संयोग बना। इसके अलावा शनि अपनी स्वराशि में रहीं। सूर्य अपनी उच्च राशि यानी मेष राशि में रहा। ऐसे में ग्रहों के शुभ संयोग के कारण रामनवमी पर व्रत, पूजा-पाठ और मंत्रों का जाब करना शुभ और फलदायी है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम का जन्म त्रेता युग में कर्क लग्न, पुनर्वसु नक्षत्र, अभिजीत मुहूर्त और सूर्य के उच्च राशि में हुआ था।

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