Women Reservation Bill: कविताओं, किस्से और कहानियों के साथ बरसे मनोज झा, कहा ‘नाम में कुछ नहीं और सरनेम में सबकुछ'
Women Reservation Bill: महिला आरक्षण के मुद्दे पर संसद का आज चौथा दिन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहसे लेकर जे.पी नड्डा तक सभी ने अपनी बात रखी। इन सब में सबसे अलग आज का दिन राजद नेता और राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने अपने नाम किया।
Women Reservation Bill: राष्ट्रीय जनता दल के नेता व राज्यसभा सांसद मनोज झा ने संसद मे आज समा बांध दिया। आज उन्होंने संसद में किस्सों से लेकर कहानियों की बौछार कर दी। उन्होंने कहा कि ‘हमारी पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने एक पत्थर तोड़ने वाली महिला को सांसद बनाया था। भगवतिया देवी गया से निकल कर संसद पहुंची। क्या उसके बाद फिर कभी भगवतिया देवी आ पाईं? क्या फूलन(Phoolan Devi) देवी संसद आ पाईं? उनके आने के पीछे किसी और का दोष नहीं था न ही किसी एक दल या पार्टी का था। इसमें दोष हमारे पूरे सिस्टम का है जिसने हमारी सारी व्यवस्थाएं संवेदन शून्य हैं। आगे उन्होंने कहा कि नाम में कुछ नहीं और सरनेम में सबकुछ' वो इसलिए नहीं आ पाईं कि हमारी व्यवस्थाएं संवेदन शून्य हैं।
मनोज झा सभी पार्टियों से आग्रह करते हुए कहा कि दलीय व्हिप की चिंता छोड़कर व्यवस्था को बदलें। एक बार अपने दायरों से निकलकर सोचिए। उन्होंने कहा कि इसको सेलेक्ट कमेटी में भेजकर एस/एसटी (SC/ST) और ओबीसी को इनकॉरपोरेट किया जाए। अगर आज आप और हमने यह नहीं किया तो हम ऐतिहासिक गुनहगार होंगे।
'नाम में कुछ नहीं और सरनेम में सबकुछ'
उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति की महिलाओं को हाथ पकड़ने के लिए कोई नहीं है। न धर्म में न आज की व्यवस्था में। हमारे नाम के पीछे जो सरनेम है, उससे हमको प्रिव्लिज्ड मिला है, लेकिन एससी, एसटी और ओबीसी (OBC) को यह प्रिव्लिज्ड नहीं मिला है। इसलिए जरूरी है कि महिला आरक्षण बिल में एससी/एसटी (SC/ST) और ओबीसी कोटा ताकि संसद सबके प्रतिनिधित्व की संस्था बन सके।
देश की तारीख से जुड़ा है मसला
मनोज झा ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर बोलते हुए कहा कि यह मसला देश की तारीख से जुड़ा है। यह मसला इस बात से जुड़ा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बीते दिनों सेंट्रल हॉल (Central Hall) में कही थी कि कैनवास (Canvas) बड़ा होगा तो आकृति बड़ी होगी। बड़ा कैनवास है, लेकिन आकृति छोटी है। यह बात इतिहास स्मरण बिलकुल नहीं करेगा। मै मानता हूं कि प्रधानमंत्री के करनी और कथनी में फासला नहीं होना चाहिए।