How to become Deputy Collector: जानें, यूपी में कैसे बन सकते हैं डिप्टी कलेक्टर ?
डिप्टी कलेक्टर एक प्रशासनिक पद है, जिसकी पोस्टिंग सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) या सब डिविजनल ऑफिसर (SDO) के रूप में की जाती है।
How to become Deputy Collector: अगर आपका सपना है डिप्टी कलेक्टर बनने का, लेकिन आपको सही गाइडलाइन नहीं मिल रही है। इस बारे में कोई बताने वाला नहीं है कि इसके लिए क्या योग्यता होनी चाहिए, किस स्ट्रीम में कौन सी डिग्री लेनी पड़ती है तो अब चिंता करने की बिल्कुल जरुरत है। हम अपने जॉब और करियर सेगमेंट में डिप्टी कलेक्टर के पद से जुड़ी सभी जानकारियां दे रहे हैं। जिन्हें आप ध्यान पूर्वक पढ़कर, डिप्टी कलेक्टर बनने की तैयारी बड़ी आसानी से कर सकते हैं।
योग्यता एवं नियम
अगर आप भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और डिप्टी कलेक्टर बनना चाहते तो इस पद के लिए आवेदन करने की सही उम्र कम से कम 21 साल है, और अधिकतम 40 साल। साथ ही आपके पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/ संस्थान से ग्रेजुएशन की डिग्री अवश्य होनी चाहिए। आरक्षित श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को ऊपरी आयु में छूट नियमानुसार प्रदान की जाएगी।
क्या होता है डिप्टी कलेक्टर?
डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए सबसे पहले इस पद के बारे में जानना बेहद जरूरी है कि डिप्टी कलेक्टर क्या होता है। और इस पद की पोस्टिंग किस रूप में होती है। डिप्टी कलेक्टर एक प्रशासनिक पद है, जिसकी पोस्टिंग सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) या सब डिविजनल ऑफिसर (SDO) के रूप में की जाती है। डिप्टी कलेक्टर का काम जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की मदद करने का होता है। यह जिला कलेक्टर के अंतर्गत कई अलग-अलग प्रशासनिक कार्यों के प्रबंधन का कार्यभार देखता है। इसके अलावा डिप्टी कलेक्टर के पद रेवेन्यू से संबंधित पावर होती हैं।
कैसे बन सकते हैं डिप्टी कलेक्टर?
डिप्टी कलेक्टर के पद को हासिल करने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि इसके लिए कौन सी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए अभ्यर्थी को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPCS) की परीक्षा में भाग लेना होता है। इस पद पर भर्ती के लिए हर साल यूपीपीसीएस की ओर से उत्तर प्रदेश संयुक्त राज्य/ प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा आयोजित की जाती है। इसमें शामिल होने के लिए सबसे पहले ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म भरना होता है। इसके बाद उम्मीदवारों को तीन चरणों- प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू से होकर गुजरना होता है।
पहले उम्मीदवारों को प्रीलिम एग्जाम में निर्धारित कटऑफ अंक प्राप्त करना होगा। जो अभ्यर्थी प्रीलिम एग्जाम में तय अंक प्राप्त कर लेते हैं, वो मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई माने जाते हैं। इसके बाद मेंस एग्जाम आयोजित की जाती है। इसमें सफल होने वाले उम्मीदवार अलगे चरण यानि इंटरव्यू में हिस्सा लेने के योग्य हो जाते हैं। अंत में अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में भाग लेना होता है। जिसके बाद अभ्यर्थियों की फाइनल लिस्ट तैयार की जाती है। फाइनल लिस्ट में शॉर्ट लिस्ट होने के बाद उम्मीदवारों की डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति की जाती है।