India-Bangladesh Test Series: टेस्ट सीरीज से पहले बॉल पर मचा बवाल , गेंद का खौफ ऐसा कि डर के मारे कांप रहे बांग्ला टाइगर्स के पांव

पाकिस्तान को उसी के घर में पटकनी देकर बांग्लादेश ने इतिहास रच दिया। विजय रथ पर सवार बांग्लादेश को अब भारत का दौरा करना है। 19 सितंबर से दोनो देशों के बीच पहला टेस्ट खेला जाएगा। इसके लिए भारतीय टीम ने अपने स्क्वाड की घोषणा कर दी है।

India-Bangladesh Test Series: टेस्ट सीरीज से पहले बॉल पर मचा बवाल , गेंद का खौफ ऐसा कि डर के मारे कांप रहे बांग्ला टाइगर्स के पांव

India-Bangladesh Test Series: पाकिस्तान को उसी के घर में पटकनी देकर बांग्लादेश ने इतिहास रच दिया। विजय रथ पर सवार बांग्लादेश को अब भारत का दौरा करना है। 19 सितंबर से दोनो देशों के बीच पहला टेस्ट खेला जाएगा। इसके लिए भारतीय टीम ने अपने स्क्वाड की घोषणा कर दी है।  लेकिन अभी तक बगलादेश ने अपनी टीम की घोषणा नहीं की है। बगलादेशी टीम ने जब से पाकिस्तान को उसी के घर में हराया है तब से उसके फैंस भारत के खिलाफ सीरीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। फैंस को लगता है उनकी टीम के हौसले बुलंद है और वो भारत को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन सीरीज शुरू होने से पहले ही बांग्लादेश के खिलाड़ी दहशत में आ गए है। और ये दहशत किसी गेंदबाज से नही बल्कि एक गेंद से है। जी हां! बिलकुल ठीक सुना आपने बांग्लादेशी टीम भारत में लाल रंग की एसजी टेस्ट बॉल से डर रही है।

बांग्लादेश के स्टार बल्लेबाज ने बताई डर की वजह

बांग्लादेश ने अभी हाल ही में जब पाकिस्तान को हराया तो वो मैच कूकाबुरा गेंद से हो रहा था। अब जब बंगला टाइगर्स भारत में खेलेंगे तो उनका सामना एसजी गेंद से होना है। और यही गेंद उनके अंदर खौफ पैदा कर रही है। दरअसल, इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट में एसजी बॉल, कूकाबुरा बॉल और ड्यूक बॉल का इस्तेमाल किया जाता है। टेस्ट मैच खेलने वाला हर देश इंटरनेशनल मुकाबलों में इनमे से अपनी पसंद की किसी एक गेंद से खेलता है। इनमे से एसजी गेंद सिर्फ भारत में प्रयोग होती है। जबकि कूकाबुरा गेंद ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और जिम्बाब्वे  की टीमें इस्तेमाल करती हैं। वही ड्यूक बॉल का इस्तेमाल इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में किया जाता है। खास बात यह है कि एसजी गेंद भारत में बनाई जाती है, कूकाबुरा का प्रोडक्शन ऑस्ट्रेलिया में होता है और ड्यूक गेंद का उत्पादन इंग्लैंड में होता है। अब सवाल उठता है की आखिर इन गेंदों में फर्क क्या होता है। मसलन एसजी और कूकाबुरा गेंदों में ऐसा क्या अंतर होता है कि बांग्लादेशी खिलाड़ी खौफ में हैं। दरअसल कूकाबुरा और एसजी बॉल्स में अंतर उनकी सिलाई में होता है। और जो भी क्रिकेट खेलता होगा उसे पता होगा की गेंद की सिलाई ही गेंदबाजी का मुख्य हथियार होता है जिसे क्रिकेट की भाषा में सीम कहा जाता है। एसजी गेंद के इस खौफ को लेकर बांग्लादेश के स्टार बल्लेबाज लिट्टन दास का भी बयान सामने आया है। लिटन का मानना है कि भारत में लाल रंग की एसजी टेस्ट गेंद का सामना करना टीम के लिए पूरी तरह से अलग होगा जो काफी मुश्किल परीक्षा होगी। उन्होंने कहा, 'एसजी गेंद के खिलाफ खेलना थोड़ा मुश्किल होता है। कूकाबूरा गेंद जब पुरानी हो जाती है तो इससे खेलना आसान होता है, इससे बेहतर कुछ नहीं है।

एसजी बॉल को मिलता है ज्यादा सीम मूवमेंट

एसजी टेस्ट बॉल जिसका इस्तेमाल भारत में होता उसकी सिलाई हांथ से की जाती है। जबकि कूकाबुरा गेंद की सिलाई मशीन से होती है। मशीन की सिलाई की वजह से कूकाबुरा गेंद की सीम उभरी हुई नही होती है और उसे ज्यादा सीम मूवमेंट नहीं मिलता है। यही वजह है की जब कूकाबुरा गेंद पुरानी होती है तो उससे खेलना आसान होता है। जबकि हाथ की सिलाई की वजह से एसजी गेंद की सीन ज्यादा उभरी होती है और इसे मूवमेंट भी ज्यादा मिलता है। भारत में पिचें ज्यादा खुरदुरी होती हैं, जिस वजह से एसजी जैसी गेंद चाहिए होती है, जो लंबे समय तक शेप न गंवाए। एशियाई पिचों पर एसजी गेंद के साथ रिवर्स स्विंग भी अन्य गेंद के मुकाबले ज्यादा मिलती है। जबकि, कूकाबुरा की गेंद उछाल भरी पिच के लिए उपयुक्त होती हैं। यही वजह है की बांग्ला टाइगर्स को एसजी गेंद का खौफ सता रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश ने पाकिस्तान में जो ऐतिहासिक जीत दर्ज की उसमे भी कूकाबुरा गेंद का इस्तेमाल हुआ था। अब जब वो भारत के खिलाफ उतारेंगे तो यहां गेंद अलग होगी, अनुभव अलग होगा, परिस्थितियां अलग होगी और सामना होगा बुमराह जैसे खतरनाक गेंदबाज का जो एसजी जैसी खतरनाक है गेंद को और ज्यादा मारक बना देते हैं।