Historical Places in Lucknow: लखनऊ की ये पांच ऐतिहासिक इमारतें होंगी हेरिटेज होटल में तब्दील, एक का ला मार्टिनर से है गहरा नाता

Historical Places in Lucknow: राजधानी लखनऊ में यूं तो घूमने के लिए कई पर्यटन स्थल हैं लेकिन शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शहर की पुरानी इमारतों का नवीनीकरण कर उन्हें हेरिटेज होटल के रूप मे बदला जा रहा है।

Historical Places in Lucknow: लखनऊ की ये पांच ऐतिहासिक इमारतें होंगी हेरिटेज होटल में तब्दील, एक का ला मार्टिनर से है गहरा नाता


Historical Places in Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूं तो घूमने के लिए कई पर्यटन स्थल (Lucknow tourist places) हैं लेकिन शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शहर की पुरानी औऱ ऐतिहासिक इमारतों (historical buildings) का नवीनीकरण कर उन्हें हेरिटेज होटल (Heritage Hotel in Lucknow) के रूप मे बदला जा रहा है। लखनऊ की छत्तर मंजिल, कोठी दर्शन विलास और फरहद बख्स कोठी,रोशन-उद्दौला कोठी, गुलिस्तान-ए-इरम, फरहत बक्श कोठी को बदल कर हेरिटेज होटल (Heritage Hotel) का रूप दिया जाएगा। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) की तर्ज पर इन पांचो इमारतों को होटल के रूप मे तबदील किया जाएगा। शासन द्वारा प्रस्ताव मंजूर होने के बाद से ही पर्यटन विभाग (UP tourism department) ने इन स्थलों को असंरक्षित श्रेणी में डालते हुए यहां हेरिटज होटल विकसित करने का नोटिस जारी कर दिया गया है।

1- छत्तर मंजिल 
लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार छत्तर मंजिल गोमती नदी (Gomti River in Lucknow) के किनारे स्थित है। इसका निर्माण फ्रेंच आर्मी ऑफिसर (army officer) मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन के रहने लिए किया गया था। उनकी मौत के बाद इस भवन को नीलाम कर दिया गया था। इसके बाद नवाब सआदत अली खान (Nawab Saadat Ali Khan) ने इसे खरीद लिया था। उस समय वह बीमार रहा करते थे। कहा जाता है कि इस कोठी में आने के बाद उनकी तबियत सही हो गई थी, जिसके बाद खुश होकर उन्होंने इसका नाम ‘कोठी फरहत बख्श’ रख दिया था। माना जाता है कि आज भी उस कोठी में कई ऐसी सुरंगे औऱ तहखाने हैं जिनमें उस समय के कई राज दफ्न हैं। कहा जाता है कि इस बिल्डिंग में 7 मंजिलें हैं, जिस कारण इसका नाम छत्तर मंजिल पड़ा था। सालों पुरानी इस मंजिल को अब हेरिटेज होटल बनाने का प्रस्ताव जारी किया गया है।

 2- गुलिस्तान-ए-इरम  

लखनऊ के कैसरबाग (Kaiserbagh in Lucknow) में स्थित गुलिस्तान-ए-इरम कोठी नवाब नसीरुद्दीन हैदर द्वारा बनवाई गयी थी। कहते हैं कि इस कोठी में उनकी जान बसती थी। देखने में यह कोठी बाहर से जितनी खूबसूरत है अंदर से उतनी ही खंड़हर हो गयी है। कहा जाता है कि रात के समय यहां जाना खतरे से खाली नहीं होता है जो भी रात के समय वहां गया है वह व्यक्ति बीमार हो जाता है या फिर उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है। जानकारी के अनुसार नवाब नसीरुद्दीन (Nawab Naseeruddin) अंग्रेजों से बेहद प्रभावित थे और उन्हें काफी बढ़ावा भी देते थे। इतना ही नहीं नवाब उनके तौर तरीकों को भी अपनाने लगे थे। इन्हीं सब कारणों की वजह से नवाब ने इस इमारत को यूरोपियन ढंग (european style buildings) से बनवाया था। इसके अलावा नवाब ने ईसाई महिला के साथ निकाह करके उन्हें अपनी बेगम बना लिया था, जिनका नाम कुदसिया बेगम था। 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने कैसरबाग को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जिसके चलते गुलिस्तान-ए-इरम को भी ध्वस्त कर दिया गया था। जिसके बाद अब इसे हेरिटेज होटल बनाने का एलान किया गया है।

 

3-रोशन-उद-दौला

लखनऊ अपनी आलीशान औऱ शानदार इमारतों के लिए काफी मशहूर है। नवाब नसीरुद्दीन हैदर (1827-1837) ने अपने शासनकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री रोशन-उद-दौला ने इसका निर्माण कराया था। यह इंडो-फ़्रैच शैली (Indo-French style buildings) में बनी बहुत ही भव्य कोठी थी। सन 1860 के दशक में इसे अंग्रेज़ों ने अपने कब्जे में ले लिया था जिसके बाद इसमे कई परिवर्तन किये गये थे। कहा जाता है कि एक वक्त था कि इस कोठी में बहुत दावतें हुआ करती थी, लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद से यह वीरान हो गया। उम्मीद है कि होटल बनने के बाद एक बार फिर से यह रोशन होगा और इस बिल्डिंग की जान और शान वापस आयेगी। 
 

 4- कोठी दर्शन विलास

कोठी दर्शन विलास, लखनऊ की प्राचीन इमारतों (ancient buildings of lucknow) में से एक है। एक समय में यह बहुत सुंदर महल हुआ करता था। हालांकि इस भवन में अब चिकित्सा स्वास्थ्य निदेशालय (Medical Health Directorate) स्थित है । इस भवन का निर्माण 1837 में नवाब नासिर-उद-दीन हैदर के शासनकाल के दौरान हुआ। इस इमारत का डिज़ाइन शहर की अन्य इमारतों की विशेषताओं का एक मिश्रण है। बता दें कि कोठी के चार चेहरे है जो क्रमशः कोठी फरहत बख्श, दिलकुशा पैलेस, मूसा बाग की प्रतिकृति है और चौथा इन सभी स्मारकों की संरचनात्मक विशेषताओं का मिश्रण है। इसी कारण से  इमारत को चौरुखी कोठी या 4 चेहरों का घर भी कहा जाता है। इसमे बना गुंबद इस इमारत की स्थापत्य सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

5- फरहत बक्श कोठी 

फरहत बक्श कोठी (Farhat Baksh Kothi) का निर्माण मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन द्वारा सन् 1781 में कराया गया था। इसका मूल नाम मार्टिन विला था। दो मंजिला इमारत होने की वजह से इसका निचला हिस्सा गोमती नदी को छूता था, औऱ इसी वज़ह से बरसात के मौसम में इसके नीचे का हिस्सा पानी में डूब जाया करता था। महल के अंदर के माहौल को ठंडा रखने के लिए इसे गोमती नदी के किनारे बनवाया गया था। इसकी ऊपरी मंजिल में एक बड़ा हॉल था, जहां 4000 से अधिक अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा की किताबें रखी गई थी। इतना ही नही, यहां 500 हस्तलिखित प्रतिलिपियां भी संकलित थीं। आपको बता दें कि क्लाउड मार्टिन को किताबें पढ़ने  का बहुत शौक था। मौत के समय उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनको ला मार्टिनियर  में दफनाया जाए। हाल ही में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे अपने नियंत्रण में लिया है और इसके पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ किया है।