जलवायु परिवर्तन: विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट में बड़ा दावा, 2050 तक 14.5 मिलियन लोगों की जा सकती है जान

डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले बाढ़ से 2050 तक 8.5 मिलियन लोगों की मौत होने का अनुमान है, जो जलवायु-प्रेरित मृत्यु दर का सबसे बड़ा जोखिम है।

जलवायु परिवर्तन: विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट में बड़ा दावा, 2050 तक 14.5 मिलियन लोगों की जा सकती है जान

जलवायु परिवर्तन: साल 2050 तक जलवायु परिवर्तन (Climate change) से दुनिया भर में 14.5 मिलियन अतिरिक्त मौतों और 12.5 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक नुकसान का खतरा है। विश्व आर्थिक मंच यानि डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। 

जलवायु परिवर्तन के छह प्रमुख कारण

समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने डब्ल्यूईएफ के एक बयान के हवाले से कहा है कि डब्ल्यूईएफ (WEF) और कंसल्टिंग फर्म ओलिवर वायमन द्वारा संयुक्त रूप से संकलित रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन (Climate change) पर अंतर सरकारी पैनल द्वारा विकसित परिदृश्यों पर आधारित है, जो बढ़ते औसत तापमान, पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2.5 से 2.9 डिग्री सेल्सियस आधारित है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के छह प्रमुख परिणामों का विश्लेषण किया गया है। जिसमें बाढ़, सूखा, लू, तूफान, जंगल की आग और समुद्र का बढ़ता स्तर शामिल है। 

लू से सबसे अधिक आर्थिक नुकसान होने की आशंका

डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले बाढ़ से 2050 तक 8.5 मिलियन लोगों की मौत होने का अनुमान है, जो जलवायु-प्रेरित मृत्यु दर का सबसे बड़ा जोखिम है। जलवायु संबंधी मृत्यु दर का दूसरा प्रमुख कारण सूखा है, जिसके कारण 3.2 मिलियन लोगों की जान जाने का अनुमान है। दूसरी ओर, लू से 2050 तक अनुमानित 7.1 ट्रिलियन डॉलर का सबसे अधिक आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। 

सबसे कमजोर आबादी को सबसे अधिक नुकसान होगा

डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जलवायु संकट वैश्विक स्वास्थ्य असमानता (climate crisis global health inequality) को और बढ़ा देगा और सबसे कमजोर आबादी को सबसे अधिक नुकसान होगा। बुनियादी ढांचे और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों जैसे सीमित संसाधनों के कारण अफ्रीका और दक्षिणी एशिया (Africa and Southern Asia) जैसे क्षेत्र जलवायु परिवर्तन (region climate change) के प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील रहेंगे। 'डब्ल्यूईएफ ने रिपोर्ट में वैश्विक हितधारकों से उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के लिए निर्णायक और रणनीतिक कार्रवाई करने का आह्वान किया। 

उत्सर्जन में कमी व शमन उपायों में सुधार जरूरी

सेंटर फॉर हेल्थ एंड हेल्थकेयर (Center for Health and Healthcare) के प्रमुख और कार्यकारी समिति के सदस्य श्याम बिशेन ने कहा है कि जब तक उत्सर्जन में कमी और शमन उपायों में सुधार नहीं किया जाता और जलवायु अनुकूलनीय स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण के लिए निर्णायक वैश्विक कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक प्रगति दूर रहेगी।