Shankh Puja Vidhi: घर में किस समय नही बजाना चाहिए शंख, क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व?

हिंदू धर्म मे शंख का धार्मिक महत्व होता है। हिन्दू धर्म मे शंख को बहुत ही शुभ माना गया है। इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों मे शंख धारण करते है।  माना जाता है कि जिस घर मे शंख होता है उस घर मे सुख-समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते है कि शंख को किस समय नही बजाना चाहिए?

Shankh Puja Vidhi: घर में किस समय नही बजाना चाहिए शंख, क्या है इसके पीछे का पौराणिक महत्व?

Shankh Puja Vidhi: हिंदू धर्म मे शंख का धार्मिक महत्व होता है। हिन्दू धर्म मे शंख को बहुत ही शुभ माना गया है। इसका कारण यह है कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों ही अपने हाथों मे शंख धारण करते है।  माना जाता है कि जिस घर मे शंख होता है उस घर मे सुख-समृद्धि आती है। लेकिन क्या आप जानते है कि शंख को किस समय नही बजाना चाहिए? हिन्दू धर्म में हर काम को करने का एक सही समय निर्धारित होता है। माना जाता है कि अगर आप इस दौरान ही वो काम करते है तो उसका प्रभाव सकारात्मक होता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पूजा के बाद किस दौरान शंख नही बजाना चाहिए। 

कब नही बजाना चाहिए शंख

हिंदू धर्म में शंख बजाने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, शास्त्रो मे यह बताया गया है कि शंख से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है, इसके अलावा, शंख बजाने को देवों के आवाहन के रूप में भी माना गया है। इसी कारण से घर में सुबह और शाम पूजा के बाद शंख बजाने का विधान है। हालांकि यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि किस समय में शंख नहीं बजाना चाहिए। जी हां, शास्त्रों में इसका भी वर्णन है कि कब शंख बजाना वर्जित माना गया है। शंख बजाने से जुड़े कई नियम भी हैं जिनका पालन आवश्यक माना गया है। इन्हीं नियमों में से एक है शंख बजाने का समय, शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार, शंख रात के समय नहीं बजाना चाहिए। इसके पीछे का कारण यह है कि सूर्यास्त के बाद देवी-देवता आराम के लिए चले जाते हैं। ऐसे में शंख बजाने से उनके विश्राम में अवरोध पैदा होता है।

ऐसा माना जाता है कि रात में अगर शंख बजाते हैं तो इससे अशुभता घर आती है। इसके पीछे का कारण यह है कि पूजा-पाठ में प्रयोग किये जाने वाली वस्तुएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही शुद्ध रहती हैं। रात में वह अशुद्ध हो जाती हैं। अगर आपके घर में भी पूजा के दौरान शंख बजाया जाता है या संध्याकाल की आरती में घंटी बजाई जाती है तो सूर्यास्त के बाद रात में इन्हें बजाने से बचें।

क्या है शंख का महत्व

पुराणों के अनुसार चन्द्रमा और सूर्य के समान ही शंख देवस्वरूप है | इसके बीच वाले भाग मे वरुण, पिछले भाग मे ब्रह्मा और आगे के भाग मे गंगा और सरस्वती का निवास होता है। शंख से शिवलिंग, कृष्ण या लक्ष्मी जी पर जल या फिर पंचामृत से अभिषेक करने पर देवता प्रसन्न हो जाते है। यह भी माना जाता है कि शंख के स्पर्श से साधारण जल भी गंगाजल जैसा ही पवित्र हो जाता है। मंदिर के शंख मे जल भरकर ही भगवान की आरती की जाती है। आरती के बाद शंख का ही जल भक्तों पर छिड़का जाता है जिससे वे प्रसन्न होते है।  जो व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण को शंख मे फूल, जल और तिलक रखकर उन्हें अर्ध्य देता है उसको अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण मे कहा गया है कि शंख मे जल रखने और इसे छ‍िड़कने से वातावरण शुद्ध होता है| शंख मे गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर मे किया जाए तो इससे भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।