Sheros Cafe: जीत के जुनून की कहानी ‘शीरोज हैंगआउट’ कैफे एसिड अटैक सर्वाइवर्स चलाती हैं ये कैफे
कहते हैं कि जब दर्द हद से गुजर जाए तो वो हौसला और जूनून बन जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है उन एसिड अटैक सर्वाइवर्स लड़कियों की।जिन्हें लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए उन पर एसिड अटैक किया।लेकिन उनके जीत के जूनून के आगे दर्द कभी रुकावट नहीं बन पाई।ये लड़कियां दर्द और जख्म को पीछे छोड़ अपने हौसलों और मजबूत इरादों के दम पर कहलाईं।शी हीरोज यानी शीरोज
Sheros Cafe: कहते हैं कि जब दर्द हद से गुजर जाए तो वो हौसला और जूनून बन जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है उन एसिड अटैक सर्वाइवर्स लड़कियों (acid attack survivors girl) की।जिन्हें लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए उन पर एसिड अटैक किया।लेकिन उनके जीत के जूनून के आगे दर्द कभी रुकावट नहीं बन पाई।ये लड़कियां दर्द और जख्म को पीछे छोड़ अपने हौसलों और मजबूत इरादों के दम पर कहलाईं।शी हीरोज यानी शीरोज।जी हां हम बात कर रहे हैं शीरोज हैंगआउट कैफे की।जिसे एसिड सर्वाइसवर्स मिलकर चला रही हैं।शीरोज हैंगआउट सिर्फ एक कैफे नहीं है।बल्कि जीत के जूनून की एक कहानी है।
कब हुई शीरोज कैफे की शुरूआत?
यूपी में पहला कैफे आगरा में खोला गया था।2014 में शीरोज कैफे की शुरूआत छांव फाउंडेशन ने की थी।इसके बाद 2016 में लखनऊ के गोमती नगर के अंबेडकर पार्क के सामने खोला गया।.और फिर नोएडा सेक्टर 21 के स्टेडियम में सीरोज कैफे का आउलेट खोला गया।इन सभी कैफे में कुल 35लड़कियां एसिड अटैक सर्वाइवर हैं।जो ज़िंदगी से हार ना मानते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।और इस कैफे को बखूबी चला रही हैं।
शीरोज कैफे ने रोजगार के साथ दी पहचान
शीरोज कैफे का उद्देश्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स को सिर्फ रोजगार देने तक सीमित नहीं है बल्कि उन्हें मोटिवेट करना और उनकी पहचान को बनाए रखना भी है। आपको बता दें कि छांव फाउंडेशन एसिड अटैक सर्वाइवर को इस कैफे में रोजगार देने के अलावा कई सारे अन्य क्षेत्रों में काम करने की पूरी ट्रेनिंग भी देती है।साथ ही समाज में उन सभी लड़कियों को ये मैसेज भी देता है कि जिन अपराधियों ने उनके साथ ऐसी हरकत की है वो उनसे डरकर अपने घरों में न बैठें बल्कि अपने हौसलों से उन्हें मुंहतोड़ जवाब दें।
शीरोज कैफे की खासियत
शीरोज कैफे के इंटीरियर को देखकर आप दंग रह जाएंगे। यहां के खाने और एंबिएंस के आप दिवाने हो जाएंगे। साथ ही इसे चलाने वालों के हौसले को सलाम किए बगैर आप रह नहीं पाएंगे।.अगर आप इस कैफे में पहुंचते हैं तो आपको चाय, कॉफी, स्नैक्स के साथ हेल्दी फूड भी मिलेगा। यहां के मेन्यू में आपको जूस और स्प्राउट जैसे हेल्दी फूड और शेक भी मिलेंगे। कैफे में पढ़ने के लिए किताबें भी होती हैं।
अभी भी है बदलाव की जरूरत
शीरोज कैफे की शुरआत करने वाले छांव फाउंडेशन का कहना है कि आज भी हमारी सरकार को कई सारे प्रयास करने की जरूरत है ताकि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को अच्छी जिंदगी मिल सके और वो आगे बढ़ पाएं।.कई परिवार एसिड अटैक सर्वाइवर्स को आज भी घर से बाहर तक निकलने की इजाजत नहीं देते जिसकी वजह से महिलाएं खुद से भी नफरत करने लगती हैं।
चेहरा छिपाकर नहीं, डटकर करें मुकाबला
इन सभी बेड़ियों को तोड़कर आगे निकलने के लिए अभी भी कई सारे प्रयास करने बाकी हैं जो समाज में सभी को एक साथ मिलकर करने होंगे ताकि एसिड अटैक सर्वाइवर्स अपने आप से नफरत करने की बजाय अपराधियों का डटकर सामना कर सकें।.हमारे देश में हर साल करीब 100 मामले ऐसे आते हैं, जिनमें लड़कियों के चेहरे पर एसिड डालकर उनका चेहरा खराब कर दिया जाता है और ये इसलिए किया जाता है ताकि ये लड़कियां अपने चेहरे को लेकर किसी के सामने न जा पाएं, किसी से नजर न मिला पाएं। जीवन भर मानसिक कुंठा में घुटने को मजबूर हो जाएं। लेकिन कहते हैं ना कि हौसला मन में हो तो पहाड़ जैसा लक्ष्य भी बौना हो जाता है। तभी तो ये लड़कियां अपने चेहरे को छुपा कर नहीं, बल्कि सबके सामने आकर जमकर मेहनत करती हैं। और अपना घर चलाती हैं।