osteoarthritis: युवाओं में तेजी से बढ़ रही ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या, जानें क्या हैं वजह

ऑस्टियो आर्थराइटिस क्या है? ये कैसे होता है? आज आपके मतलब की खबर में हम आपको बताएंगे घुटनों में होने वाले दर्द के बारे में, इसके साथ ही बताएंगे कि इस समस्या से बचने के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

osteoarthritis: युवाओं में तेजी से बढ़ रही ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या, जानें क्या हैं वजह

osteoarthritis: ऑस्टियो आर्थराइटिस क्या है? ये कैसे होता है? आज आपके मतलब की खबर में हम आपको बताएंगे घुटनों में होने वाले दर्द के बारे में, इसके साथ ही बताएंगे कि इस समस्या से बचने के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

साल 1990 आज से सिर्फ 30 साल पहले भारत में ऑस्टियो आर्थराइटिस के करीब 2.3 करोड़ मामले थे, जो 2020 तक  बढ़कर लगभग 7 करोड़ पहुंच गए। आखिर इसके पीछे की वजह क्या है कि ऑस्टियो आर्थराइटिस के मामलों में तेजी से इतना इजाफा हो गया। 

ऑस्टियो आर्थराइटिस की सबसे चिंताजनक बात ये है कि अब ये बीमारी युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। माना जाता है कि ज्यादा चलने फिरने से हड्डियों के जोड़ मजबूत होते है  लेकिन क्या आप जानते है कि ऑस्टियो आर्थराइटिस होने की एक बड़ी वजह ये है कि बिना कुशन वाले जूते, हील और सख्त सोल वाले फुटवियर पहनने के कारण भी घुटनों का कार्टिलेज जल्दी खराब हो सकता है।

ऑस्टियो आर्थराइटिस बीमारी कैसे होती है?

ऑस्टियो आर्थराइटिस यानी एक तरह का गठिया रोग है, जो कभी बुजुर्गों की बीमारी समझा जाता था। वह आज कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रहा है। इसका एक सबसे बड़ा कारण है लाइफस्टाइल। साथ ही कैल्शियम, विटामिन-डी की कमी और लो फिजिकल एक्टिविटी। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। ये सब भविष्य में घुटनों के कार्टिलेज खराब होने का कारण बनते हैं। इस बीमारी की अहम बात ये है कि एक बार खराब होने के बाद कार्टिलेज ये दोबारा रिजनरेट नहीं होता है। यानि हड्डी एक बार टूट जाए तो दोबारा जुड़ जाती है, लेकिन ऑस्टियो आर्थराइटिस में खराब हो रहा कार्टिलेज फिर से रिपेयर नहीं हो सकता। इसलिए इससे बचने के लिए समय रहते सावधानी बरतना जरूरी है। 

ऑस्टियो आर्थराइटिस क्या है?

ऑस्टियो आर्थराइटिस क्या है- इसको ऐसे समझिये कि, जैसे कार के पहियों में स्टील के फ्रेम में टायर लगे होते हैं, जो रोड पर पड़ने वाले झटकों को कम करते हैं। ये पहिये एक कुशन का काम करते हैं। वैसे ही हमारी हड्डियों के बीच में कार्टिलेज की गद्दी होती है, जो हड्डियों को सुरक्षित रखती है।  वैसे तो ये सभी जॉइंट्स के बीच में होता है, लेकिन पैरों के कार्टिलेज ऑस्टियो आर्थराइटिस के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। दरअसल गाड़ी के टायर की तरह ये कार्टिलेज भी घिसते रहते हैं और अगर ये पूरी तरह खराब हो जाएं तो दर्द भी बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में घुटने भी बदलने की नौबत आ जाती है। बुजुर्गों को होने वाली ये बीमारी आज स्मोकिंग, लो फिजिकल एक्टिविटी, खराब लाइफ स्टाइल, इंडियन टॉयलेट के इस्तेमाल और कमजोर मसल्स की वजह से युवाओं में भी देखने को मिल रही है। लेकिन समय रहते इस बीमारी से बचा जा सकता है।

अब बताते है ऑस्टियो आर्थराइटिस कैसे बढ़ता है और इसकी कितनी श्रेणियां हैं?

ऑस्टियो आर्थराइटिस की चार श्रेणियां है।  शुरू में उठने बैठने में तकलीफ हो तो समझ लिजिए आपको ऑस्टियो आर्थराइटिस की शुरुआत हो चुकी है। इसके बाद कार्टिलेज में हल्का हल्का दर्द हमेशा बना ही रहेगा।  फिर धीरे-धीरे आपके घुटने के कार्टिलेज को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। दर्द बने रहने के साथ ही दर्द बढ़ भी सकता है। और आखिर में हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती है।

इससे बचने और कार्टिलेज को स्वस्थ रखने के लिए निरंतर एक्सरसाइज करे। मसल्स को मजबूत रखें, अपने वजन को कंट्रोल में रखे, घटने पर चोट को इग्नोर ना करें। डाक्टर को दिखाएं और कुशन वाले फुटवियर पहनें।