Maha Saptmi Pooja: महा सप्तमी के दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, जानें इस दिन पूजन विधि, मंत्र और भोग
नवरात्रि के 7वें दिन यानी महा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी का ये रूप संकटों से उबारने वाला माना जाता है। देवी कालरात्रि का पूजन रात के समय करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा ने शुंभ निशुंभ का विनाश करने के लिए देवी कालरात्रि का रूप धारण किया था।
Maha Saptmi Pooja: नवरात्रि के 7वें दिन यानी महा सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी का ये रूप संकटों से उबारने वाला माना जाता है। देवी कालरात्रि का पूजन रात के समय करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा ने शुंभ निशुंभ का विनाश करने के लिए देवी कालरात्रि का रूप धारण किया था। देवी कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण है। इसलिए उन्हें कालरात्रि कहा जाता है।
मां का स्वरूप
माता का स्वरुप कालिका यानी काले रंग का है और उनके विशाल केश है जो चारों दिशाओं में फैले हुए हैं। मां कालरात्रि की चार भुजा और तीन नेत्र हैं। मां कालरात्रि भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर रुप को दर्शाती है। मां की चार भुजाओं में खड्ग, कांटा सुशोभित है। गले में माला है। इनका एक नाम शुभंकरी भी है। इनकी आंखों से अग्नि की वर्षा भी होती है। मां कालरात्रि की सवारी गदर्भ है।
पूजा की विधि
देवी पार्वती के कालरात्रि रूप की पूजा दोनों समय की जाती है सुबह और शाम के समय। इस दिन सुबह के समय स्नान के बाद लाल कंबल के आसन पर बैठे। मां कालरात्रि की तस्वीर की स्थापना करें। मां को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और मां कालरात्रि के मंत्रों के जप करें तथा अंत में पूरे परिवार के साथ उनकी आरती करें।
माता का भोग और मंत्र
मां कालरात्रि को मालपुआ का भोग लगाया जाता है। मां कालरात्रि को मालपुआ अति प्रिय है। इसलिए मां को इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मालपुआ का भोग जरूर लगाएं। मां कालरात्रि का मंत्र है। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै। इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप जरूर करें।
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली
काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा
महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा
महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली
दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा
सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी
गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी
ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे
महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय