Santali tribals: झारखंड की लुगु बुरू पहाड़ी पर 23वें अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में जुटे देश-विदेश के लाखों संथाली आदिवासी

झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया के पास स्थित लुगुबुरू पहाड़ी पर आयोजित 23वें अंतरराष्ट्रीय संथाल सरना धर्म सम्मेलन में रविवार-सोमवार को 3 लाख से ज्यादा लोग उमड़ पड़े।

Santali tribals: झारखंड की लुगु बुरू पहाड़ी पर 23वें अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में जुटे देश-विदेश के लाखों संथाली आदिवासी

Jharkhand International Religion Conference: झारखंड के बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया के पास स्थित लुगुबुरू पहाड़ी पर आयोजित 23वें अंतरराष्ट्रीय संथाल सरना धर्म सम्मेलन में रविवार-सोमवार को 3 लाख से ज्यादा लोग उमड़ पड़े। भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा नेपाल, बांग्लादेश और भूटान से आए लाखों संथालियों ने लुगु बुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ में माथा टेका।

Santali tribals: सोमवार को धर्म सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित झारखंड के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Jharkhand) हेमंत सोरेन ने कहा कि यह स्थल संथाली आदिवासियों का धार्मिक धरोहर है, जिसका संरक्षण हर हाल में किया जाएगा। लुगू पहाड़ पर दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation) लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित लुगू पहाड़ हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट (Lugu Pahad Hydel Pumped Storage Project) से हमारी धरोहर को खतरा है, इसलिए जब तक वह हैं, यहां किसी हाल में यह प्रोजेक्ट नहीं स्थापित होने दिया जाएगा।

दरअसल, लुगु पहाड़ी संताली आदिवासियों (Santali tribals) का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। यहां केंद्र सरकार के उपक्रम डीवीसी ने 1,500 मेगावाट की क्षमता वाले हाइडल पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने की योजना बनाई है, लेकिन आदिवासी समाज इसका जोरदार विरोध कर रहा है। लुगु बुरू पहाड़ी ही वह स्थान है, जिसके बारे में संथाली आदिवासियों की मान्यता है कि यहां लुगु बाबा की अगुवाई में लाखों साल पहले संतालियों के जन्म से लेकर मृत्यु तक के रीति-रिवाज यानी संताली संविधान की रचना हुई थी।

मान्यता है कि इसके लिए इसी स्थल पर 12 साल तक मैराथन बैठक हुई। कहते हैं कि लुगू बाबा ने इस स्थान पर सभी संतालों को संताल समाज के रीति-रिवाजों और सामाजिक मानदंडों को तैयार करने के लिए बुलाया और बारह वर्षों तक उन्होंने यहां पर चट्टानी सतह पर बैठकर चर्चा की। इसके बाद संतालों के पूर्वज अलग-अलग स्थानों पर फैल गए, लेकिन वे यहां तैयार हुए, संविधान के अनुसार धार्मिक सामाजिक परंपराओं का निर्वाह करते हैं।

लुगु बुरू झारखंड की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है। यहां पहुंचने के लिए पगडंडियों के सहारे पूरी यात्रा तय करनी पड़ती है। यह समुद्र तल से दो हजार फीट से अधिक ऊपर है। लुगुबुरु पहाड़ी की तलहटी में स्थित मंच को घंटाबारी के नाम से जाना जाता है। इसे एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है। पहाड़ की ऊंची चोटी पर ऐतिहासिक गुफा (घिरी दोलान) अवस्थित है। इसी गुफा के अन्दर लुगू बाबा की पूजा होती है।

यहां गुफाओं के अन्दर पानी का रिसना भी एक चमत्कार ही है। इतनी ऊंचाई पर पानी का स्रोत किसी को पता नहीं। यहां एक सबसे पवित्र झरना है, जिसे सितेनाला के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे छरछरिया झरना और ललपनिया झरना भी कहते हैं। इस नाले का पानी उनके लिए बेहद पवित्र है। देवता की पूजा करने के लिए लुगुबुरु जाने वाले भक्त, मंदिर की पत्थर की दीवार की धूल को थैली में खुरच कर इकट्ठा करते हैं। रविवार-सोमवार को जुटे लाखों भक्तों ने इन परंपराओं का निर्वाह किया।