Guru Pradosh Vrat: गुरु प्रदोष व्रत पर ऐसे करें पूजा, जाने व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
भगवान शिव दुनिया को चलाने वाले सबसे बड़े ईष्ट माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिस भी व्यक्ति पर महादेव और मां पार्वती की कृपा हो, उसकी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती। ऐसा व्यक्ति दुख, शोक और संताप से भी ऊपर उठ जाता है। वो व्यक्ति जीवन के उपरांत मोक्ष को प्राप्त करता है।
Guru Pradosh Vrat: भगवान शिव (lord shiva) दुनिया को चलाने वाले सबसे बड़े ईष्ट माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिस भी व्यक्ति पर महादेव और मां पार्वती की कृपा हो, उसकी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती। ऐसा व्यक्ति दुख, शोक और संताप से भी ऊपर उठ जाता है। वो व्यक्ति जीवन के उपरांत मोक्ष को प्राप्त करता है। भगवान शंकर और मां पार्वती की कृपा हासिल करने के लिए प्रत्येक माह आने वाली त्रयोदशी तिथि को उत्तम माना जाता है। इसकी वजह ये है कि इसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से भगवान शिव की आराधना की जाए तो व्यक्ति अपने भक्तों का कष्ट हरने के लिए दौड़े चले आते हैं।
गुरु प्रदोष व्रत कि तिथि
हिंदू पंचांग (hindu almanac) के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 6.23 बजे से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 29 नवंबर को सुबह 8.39 बजे होगा। इस हिसाब से मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष वर्त 28 नवंबर को होगा। इस दिन गुरुवार है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष कहा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह (Margashirsha month) में पड़ने वाले पहले प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त 28 नवंबर को शाम 05 बजकर 24 मिनट से लेकर 08 बजकर 06 मिनट तक है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस मुहूर्त में पूजा करने से भोलेनाथ और मां पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं अनुसार, यदि आपके बनते हुए काम अटक रहे हैं, नया काम शुरू किया है लेकिन, उसमें सफलता नहीं मिल पा रही है या परिवार में अक्सर कलह रहती है तो आपको गुरु प्रदोष का व्रत बिल्कुल करना चाहिए। ऐसा करने से सारी दुख-परेशानियों से निजात मिलती है। इस दिन पूजा की थाली में भगवान शिव के प्रिय भोग अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से पूरे परिवार पर उनकी कृपा बरसती है।