Judge in banda: बांदा की महिला जज ने CJI से मांगी इच्छा मृत्यु, लिखा-लोगों को न्याय देती हूं, खुद हुई अन्याय का शिकार

Judge in banda: यूपी के बांदा जिले में एक महिला जज ने CJI से इच्छा मृत्यु मांगी है। उन्होंने CJI को एक लेटर लिखा है जिसमें महिला ने बताया कि कोर्ट में उनके साथ बदसलूकी की गई।

Judge in banda: बांदा की महिला जज ने CJI से मांगी इच्छा मृत्यु, लिखा-लोगों को न्याय देती हूं, खुद हुई अन्याय का शिकार

Judge in banda: यूपी के बांदा जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां तैनात महिला जज ने इच्छा मृत्यु मांगी है। महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) को एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ। मैं दूसरों को न्याय देती हूं, मगर खुद अन्याय का शिकार हुई।

आगे महिला ने बताया कि मैंने जज होते हुए इंसाफ की गुहार लगाई, तो मात्र 8 सेकेंड में सुनवाई करके पूरा मामला अनसुना कर दिया गया। मैं लोगों के साथ न्याय करूंगी, ये सोचकर सिविल सेवा ज्वॉइन की थी। लेकिन मेरे साथ ही अन्याय हो रहा है। जिसके बाद अब मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। इसलिए मुझे इच्छा मृत्यु की परमिशन दी जाए।

लेटर में लिखी ये बातें 

महिला जज ने पत्र में लिखा - मैं इस पत्र को बेहद दुख और पीड़ा के साथ लिख रही हूं। इसे लिखने का कोई और मकसद नहीं है। सिर्फ मैं अपने गॉर्जियन (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) से अपनी कहानी बयां करके अपनी इच्छा मृत्यु के लिए प्रार्थना करना चाहती हूं। मैंने न्यायिक सेवा बेहद उत्साह और विश्वास के साथ ज्वॉइन की थी। इस नौकरी में मेरा मकसद कॉमन लोगों को न्याय देना था।

लेकिन, नौकरी के दौरान मुझे यह जल्द पता चल गया कि न्याय मांगना भीख मांगने जैसा है। मैंने खुद इस बात का एहसास किया। नौकरी के बेहद कम समय में मुझे भरी अदालत में अपमानित किया गया। गालियां दी गईं। मुझे अपने कार्यकाल में शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ा। खुलेआम गाली-गलौज सुननी पड़ी।

मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया, जैसा मैं कोई असामाजिक तत्व हूं। मैं दूसरों को न्याय सुनाती हूं, मगर मेरे बारे में कौन सोचता है? मैं भारत में काम करने वाली हर एक महिला से कहना चाहती हूं कि शारीरिक शोषण के साथ वर्कप्लेस पर जीना सीख लें, ये हमारे जीवन का कड़वा सच है। POSH एक्ट भी एक दिखावा है।

इस पर कोई सुनवाई नहीं होती है, न कोई पेन लेता है। यदि आप शिकायत करेंगे, तो आपको टॉर्चर किया जाएगा। जब मैं यह कह रही हूं कि कोई नहीं सुन रहा है, तो इसमें शीर्ष अदालत भी शामिल है। इसकी शिकायत करने और न्याय मांगने के बाद मुझे सिर्फ 8 सेकेंड मिले, ऐसी स्थिति में मैं सुसाइड तक का सोचने लगी।

अगर कोई भी महिला सिस्टम के खिलाफ लड़ने के बारे में सोचती है, तो ये गलत है, मैं एक जज के तौर पर इसका एहसास कर चुकी हूं। मैं अपने खिलाफ हुए शोषण की एक जांच तक नहीं करवा पाई। महिलाओं को मैं सुझाव देती हूं वो खिलौना और कोई सामान नहीं हैं।
कृपया मुझे अपनी अपनी जिंदगी सम्मान जनक तरीके से खत्म करने की अनुमति दें। मेरे भाग्य के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है।

2022 का है यह मामला

पीड़ित महिला जज के मुताबिक, 7 अक्टूबर 2022 को बाराबंकी जिला बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य के बहिष्कार का प्रस्ताव पारित कर रखा था। उसी दिन सुबह 10:30 बजे मैं अदालत में काम कर रही थी। इस दौरान महामंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कई वकीलों समेत कोर्ट कक्ष में घुस आए। और मेरे साथ बदसलूकी करने लगें। इस दौरान उन्होंने मेरे साथ गाली-गलौज की और साथ ही मेरे मेरे कक्ष की बिजली भी बंद कर दी गई। इतना ही नहीं मेरे साथ मौजूद अन्य वकीलों को जबरन कक्ष से बाहर निकाल दिया। जिसके बाद वो मुझे धमकी देने लगे। इस घटना के बाद मैनें इसकी शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हालांकि इस घटना को लेकर बार एसोसिएशन ने कार्य का बहिष्कार किया था।

राजधानी लखनऊ की रहने वाली है महिला जज

जानकारी के मुताबिक महिला जज(33) लखनऊ की रहने वाली है। वो साल 2019 में जज बनी थीं। सबसे पहली तैनाती उनकी बाराबंकी में हुई थी। इसके बाद मई 2023 में उनका ट्रांसफर बांदा हो गया था। जिसके बाद से वो यहीं पर तैनात हैं।