Jharkhand news: झारखंड में गोड्डा के बाद पाकुड़ जिले में मलेरिया जैसे लक्षणों की बीमारी ने ली पांच बच्चों की जान, अब तक एक दर्जन की हुई मौत
गोड्डा में मलेरिया से सात बच्चों की मौत के बाद पाकुड़ में भी इस जानलेवा बीमारी से पांच बच्चों की जान चली गई है।
Jharkhand news: झारखंड के गोड्डा के बाद पाकुड़ जिले में भी बड़ी संख्या में मलेरिया से मिलते-जुलते लक्षणों की बीमारी से पीड़ित बच्चे पायें गयें हैं। गोड्डा में इस बीमारी से जहां सात बच्चों की मौत हुई है, वहीं पाकुड़ में भी इस जानलेवा बीमारी में पांच बच्चों की जान चली गई है। अहम बात ये है कि ये सभी मौतें आठ से दस दिनों के दौरान हुई हैं।
आदिम जनजाति के बच्चें हो रहे शिकार
इस बीमारी से मरने वाले सभी बच्चे आदिम जनजाति और जनजातीय परिवारों के हैं। खबरों के मुताबिक लिट्टीपाड़ा प्रखंड के बड़ा कुलटो गांव में बीते पांच दिनों में जिन पांच बच्चों की जान बीमारी से चली गई है, उनके नाम छिता हांसदा, देतबाबू मरांडी, लीलमुनी मुर्मू, सुनीता मुर्मू और माइकल मरांडी हैं। इन सभी बच्चों की उम्र लगभग 2 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक है। बच्चों की मौत की सूचना के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में है। पाकुड़ के उपायुक्त मृत्युंजय वर्णवाल के निर्देश पर डीएमओ केके सिंह और बीडीओ श्रीमान मरांडी की अगुवाई में मेडिकल टीम बड़ा कुटलो गांव पहुंची। गांव में कैंप भी लगाया गया है जिसमें 50 बीमार लोगों का इलाज किया गया। इनमें से नौ लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए हैं। इन सभी को इलाज के लिए लिट्टीपाड़ा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दाखिल कराया गया है।
भाजपा ने राज्य सरकार का किया घेराव
बच्चों की मौत की घटनाओं को लेकर विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, “सत्तासुख भोगने की लालसा लिए हुए हेमंत से अब जनता कौन सी उम्मीद कर सकती है? गोड्डा जिले में 7 बच्चों की मौत के बाद, अब पाकुड़ जिले की लिट्टीपाड़ा के बड़ा कुलटो में 5 नाबालिग बच्चों की अज्ञात बीमारी से मौत हो गई है। प्रदेश की हेमंत सरकार अभी भी नींद में सोई हुई है, उसे बच्चों की जान से, रोते हुए इंसान से और बेबस होती स्वास्थ्य व्यवस्था से कोई फर्क नहीं पड़ता है। हर दिन किसी न किसी बच्चे की जान जा रही है और राज्य सरकार अपनी रोटी में घी लगाकर स्वाद ले रही है, उसे रोटी और पथराई आंखों से कोई सहानुभूति नहीं है।”