Hathras satsang incident: हाथरस सत्संग हादसे में अब तक 122 की मौत, जानें किस भोले बाबा के सत्संग में पहुंचे लाखों लोग
हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में ढाई लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, सत्संग के आयोजकों ने 80 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी और प्रशासन ने उसी के हिसाब से व्यवस्था भी की, लेकिन सत्संग में ढाई लाख से अधिक लोग पहुंच गए।
Hathras Satsang accident: यूपी के हाथरस (Hathras) में सत्संगकांड में अब तक 122 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग घायल है। जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। एटा समेत 4 जिलों अलीगढ़, एटा और आगरा में रातभर शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ। परिजन अपनों के शव लेकर इधर-उधर भटकते नजर आए। वहीं, प्रशासन ने अब तक 121 मौत की पुष्टि की है।
वहीं, इस घटना पर, पीएम मोदी, सीएम योगी, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं ने दुख जताया है। इसके अलावा इस हादसे पर विदेशी लीडरों ने भी दुख संवेदना व्यक्त की है। सीएम योगी देर रात तक अधिकारियों से हादसे की रिपोर्ट लेते रहे और सुबह हाथरस पहुंच कर घटनास्थल और जिला अस्पताल का मुआयना किया... सीएम योगी ने यहां घायलों का हाल जाना और घटना को लेकर अधिकारियों से जानकारी ली। उधर, हाथरस हादसे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता वकील गौरव द्विवेदी ने कोर्ट से हादसे की CBI जांच की मांग की है।
80 हजार की परमीशन, ढाई लाख लोग पहुंचे
हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में ढाई लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, सत्संग के आयोजकों ने 80 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी और प्रशासन ने उसी के हिसाब से व्यवस्था भी की, लेकिन सत्संग में ढाई लाख से अधिक लोग पहुंच गए। इस दौरान पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते ये बड़ा हादसा हो गया। वहीं हादसे की जांच करने के लिए फोरेंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है। फोरेंसिक टीम घटनास्थल पर फोटो और वोडियोग्राफी कर सबूत इकट्ठा कर रही है।
बाबा के चरणों की धूल लेने के चक्कर में मची भगदड़
हाथरस हादसा मंगलवार दोपहर (2 जुलाई) 1 बजे फुलरई गांव में हुआ। जानकारी के मुताबिक, सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा के चरण की धूल लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं। इस बीच भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। जिससे बचने के लिए भीड़ इधर-उधर भागने लगी और भगदड़ मच गई। लोग जमीन पर गिर गए, जिन्हें भीड़ ने रौंद दिया। इसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
हाथरस सत्संग भगदड़ मामले में पुलिस ने 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया हैं। हैरत की बात ये है कि इसमें भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम ही नहीं है। वहीं, हादसे के बाद से भोले बाबा अंडरग्राउंड है। पुलिस रातभर बाबा की तलाश में छापेमारी करती रही। इस दौरान पुलिस मैनपुरी में बाबा के आश्रम में पहुंची, लेकिन वहां भी बाबा नहीं मिला।
आखिर ये भोले बाबा कौन हैं जिनके सत्संग में लाखों लोग पहुंच गए
जानकारी के मुताबिक, भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। उसका जन्म एटा जिले के बहादुर नगरी गांव में एक किसान के घर में हुआ था। सूरज पाल की शुरुआती पढ़ाई एटा में ही हुई। वह बचपन में अपने पिता के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाता था। पढ़ाई के बाद उसकी यूपी पुलिस में नौकरी लग गई। उत्तर प्रदेश के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में भी सूरज पाल की तैनाती रही। 28 साल पहले यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान उसकी पोस्टिंग इटावा में भी पोस्टेड रही। नौकरी के बाद सूरज पाल ने अपना नाम बदलकर नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और धार्मिक उपदेशक बन गया। वह पिछले 25 साल से सत्संग कर रहा है। उसके पश्चिमी यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी अनुयायी हैं। अनुयायी उसकी भगवान शिव की तरह पूजा करते हैं। इसलिए अनुयायी साकार विश्व हरि को भोले बाबा और परमात्मा कहते है और उसकी पत्नी को मां जी। हर समागम कार्यक्रम में बाबा अपनी पत्नी के साथ बैठते हैं, जब बाबा नहीं होते तो उनकी पत्नी प्रवचन देती है। पिछले तीन महीने से भोले बाबा की पत्नी की तबीयत खराब है, इसलिए बाबा अकेले ही प्रवचन दे रहे हैं।
गांव में 30 एकड़ में फैला है आश्रम
बहादुर नगरी गांव में भोले बाबा का आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। जहां किसी देवी-देवता की मूर्ति नहीं है। 2014 में उसने अपना ठिकाना बदल लिया। उसने गांस से मैनपुरी के बिछवा में अपना नया ठिकाना बनाया और आश्रम की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासक के हाथों में दे दी। जानकारी के मुताबिक, भोले बाबा का ठिकाना बदलने के बावजूद उसके गांव वाले आश्रम में प्रतिदिन 12,000 तक लोग आते है। इसके अलावा उसके पास कारों का काफिला है। वह जहां जाता है उसकी कारों का काफिला साथ जाता है। वहीं भोले बाबा मीडिया से दूरी बनाए रखते है। उसकी यूपी समेत कई राज्यों के गांवों में गहरी पैठ है।
मॉर्डन लुक में रहता है भोले बाबा
भोले बाबा किसी अन्य बाबा की तरह भगवा पोशाक नहीं पहनता है, बल्कि वह थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है। उसके सूट और बूट का रंग हमेशा सफेद होता है। भोले बाबा कई बार कुर्ता-पैजामा और सिर पर सफेद टोपी लगाकर भी सत्संग करता है।
भोले बाबा का दावा- भगवान से हुआ साक्षात्कार
भोले बाबा दावा करता है कि 18 साल की नौकरी के बाद 90 के दशक में उसने वीआरएस ले लिया। वह कहता है- उसे नहीं मालूम कि सरकारी नौकरी से उसको अध्यात्म की ओर खींचकर कौन लाया? वीआरएस लेने के बाद भगवान का दर्शन हुआ। तब भगवान से प्रेरणा मिली कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण के लिए समर्पित करने का फैसला लिया। भोले बाबा कहता है कि मैं खुद कहीं नहीं जाता, मेरे भक्त मुझे बुलाते हैं। मैं भक्तों की फरियाद पर अलग-अलग स्थानों पर जाकर समागम करता हूं। जानकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में कई आईएएस और पीसीएस अधिकारी उसके चेले हैं। यहां तक की कई राजनेता और बड़े अफसर उसके समागम में पहुंचते है। बाबा अपने समागम में शादियां भी कराता है।
बाबा कोई साहित्य या सामग्री नहीं बेचता
साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के समागम में प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। अनुयायी भी कोई चढ़ावा नहीं चढ़ाते। बाबा कोई साहित्य या सामग्री नहीं बेचता। समागम कार्यक्रमों के लिए लोगों से चंदा भी नहीं लिया जाता। अनुयायी मंच के नीचे से बाबा को सिर्फ प्रणाम करते हैं। चढ़ावा नहीं लेने के कारण बाबा के अनुयायी बढ़ रहे हैं।
अखिलेश यादव समागम में शामिल हुए थे
जानकारी के मुताबिक, बाबा का संपर्क सियासतदानों से भी है। कुछ अवसरों पर यूपी के कई बड़े नेताओं को भोले बाबा के मंच पर देखा गया है। जिसमें यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है। अखिलेश यादव ने पिछले साल जनवरी में भोले बाबा के एक समागम में हिस्सा लिया था। जिसकी 4 तस्वीरें अखिलेश यादव ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट की थी। इसके साथ ही अखिलेश ने लिखा- नारायण साकार हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जयकार हो।
एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग में गहरी पकड़
भोले बाबा के अनुयायी यूपी समेत राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी हैं। एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग में उसकी गहरी पैठ है। मुस्लिम वर्ग के कुछ लोग भी भोले बाबा के अनुयायी हैं। बाबा का यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज भी है। उसके यूट्यूब चैनल के 31 हजार सब्सक्राइबर हैं। वहीं फेसबुक पेज पर भी ज्यादा लाइक्स नहीं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके लाखों अनुयायी हैं। उनके हर समागम में लाखों लोगों की भीड़ पहुंचती है।
प्रसाद के रूप में बांटा जाता है पानी
भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे पानी बांटा जाता है। बाबा के अनुयायियों का मानना है कि इस पानी को पीने से उनकी सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। एटा में बहादुर नगर गांव स्थित बाबा के आश्रम में दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है। दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है।
कोरोना काल में भी हुआ था बड़ा विवाद
मई, 2022 में जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी, उस समय फर्रुखाबाद में भोले बाबा ने सत्संग किया था। जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी। लेकिन, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। उस समय भी जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इस बार भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे कहीं ज्यादा लोग जुट गए थे। इसके अलावा भोले बाबा पर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप हैं। कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के करसुई गांव में साकार विश्वहरि ग्रुप पर 5 से 7 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा था।
आगरा में था अगला कार्यक्रम
जानकारी के मुताबिक, हाथरस के बाद भोले बाबा का अगला कार्यक्रम 4 से 11 जुलाई तक आगरा में होना था। जिसके लिए जिले के सैंया थाना क्षेत्र में ग्वालियर रोड पर नगला केसरी इलाके में तैयारी चल रही थी। क्षेत्र में इसके पोस्टर भी लगा दिये गए थे।
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