Cold Drink: शीतल पेय (कोल्ड ड्रिंक) का अधिक सेवन हड्डियों को बनाता है कमजोर : विशेषज्ञ

हड्डी रोग विशेषज्ञों का दावा है कि शीतल पेय के नियमित सेवन और गतिहीन जीवनशैली के कारण हड्डियां कमजोर हो रही हैं।

Cold Drink: शीतल पेय (कोल्ड ड्रिंक) का अधिक सेवन हड्डियों को बनाता है कमजोर : विशेषज्ञ

Cold Drink:  हड्डी रोग विशेषज्ञों का दावा है कि शीतल पेय (cold drink) के नियमित सेवन और गतिहीन जीवनशैली के कारण हड्डियां कमजोर हो रही हैं। इससे 40-50 आयु वर्ग के लोगों में अस्थि खनिज घनत्व (बीएमडी) में कमी आ सकती है, जो बाद में ऑस्टियोपोरोसिस में तब्दील हो जाती है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्रोफेसर शाह वलीउल्लाह ने चीन में सात वर्षों तक 17,000 लोगों पर किए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, "दैनिक कोल्ड ड्रिंक का सेवन वयस्कों में फ्रैक्चर के उच्च जोखिम से जुड़ा है।" अध्ययन में पाया गया कि शीतल पेय की अधिक खपत सामाजिक-जनसांख्यिकीय कारकों और समग्र आहार पैटर्न से स्वतंत्र रूप से फ्रैक्चर जोखिम से जुड़ी है।

वलीउल्लाह ने कहा, “एक समान पैटर्न यहां देखा गया है। हमें ओपीडी में 40-50 आयु वर्ग के 100 में से 35 मरीज मिल रहे हैं, जिनका बीएमडी कम हो गया है। एक दशक पहले तक ऐसा नहीं था, जब वयस्क आबादी में शीतल पेय की खपत कम थी।

ये भी पढ़ें- ऑस्टियोपोरोसिस हमारे शरीर मे गंभीर समस्या पैदा कर देता है, जानिए इससे बचने के उपाय 

आर्थोपेडिक सर्जन और रेलवे अस्पताल के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय श्रीवास्तव ने बताया कि हड्डियों के स्वास्थ्य पर शीतल पेय का प्रभाव उनमें मौजूद चीनी, सोडियम और कैफीन की मात्रा के कारण होता है, जिससे कैल्शियम की हानि बढ़ जाती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, "इसके अलावा शीतल पेय की बोतल के उत्पादन में प्लास्टिक में पाया जाने वाला रसायन फ़ेथलेट्स हड्डियों की प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है, जिससे कंकाल संबंधी विकृतियां और ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है।"

विशेषज्ञों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों और चिकित्सकों से इस मुद्दे का समाधान करने और लोगों की भलाई के लिए शीतल पेय की खपत में कमी को बढ़ावा देने का आग्रह किया।

वलीउल्लाह ने कहा, "हमें लोगों को शीतल पेय के खतरों के बारे में जानकारी देते हुए उनकी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए शिक्षित करने की जरूरत है।'' शुरुआती जांच के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाओं को अधिक जागरूक होना चाहिए क्योंकि उन्हें पश्चिम की तुलना में एक दशक पहले ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है क्योंकि यहां रजोनिवृत्ति की उम्र 47 वर्ष है जबकि पश्चिमी देशों में यह 50 वर्ष है।

उन्‍होंने कहा, ''चूंकि हार्मोन एस्ट्रोजन नई हड्डियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जब इसका स्राव बंद हो जाता है तो बीएमडी कम हो जाता है और ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बनता है। इसलिए 45 साल से अधिक उम्र की जिन महिलाओं को कमर दर्द की शिकायत है, उन्हें अपनी जांच करानी चाहिए।''

केजीएमयू के आर्थोपेडिक्स विभाग के संकाय प्रो. शैलेन्द्र सिंह ने कहा, "लोगों को नियमित व्यायाम और संतुलित आहार सहित स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।"