New Delhi: पीएफआई को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय (MHA) की उस अधिसूचना के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई टाल दी, जिसमें उसे और उसके संबद्ध संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया गया था।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय (MHA) की उस अधिसूचना के खिलाफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की याचिका (SLP) पर सुनवाई टाल दी, जिसमें उसे और उसके संबद्ध संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया गया था।
याचिका शुक्रवार को जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela M Trivedi) की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थी। पीएफआई ने गृह मंत्रालय के बैन को बरकरार रखने वाले यूएपीए ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की थी। मार्च में, यूएपीए ट्रिब्यूनल ने यूएपीए की धारा 3(1) के तहत प्रतिबंध को बरकरार रखा था। सितंबर 2020 में, गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना प्रकाशित की थी जिसमें पीएफआई और उसके विभिन्न सहयोगियों या मोर्चों को यूएपीए के तहत 'गैरकानूनी' घोषित किया गया था।
आरोप है कि पीएफए का आतंकवादी संगठनों से संबंध है और वह आतंकी कृत्यों में शामिल है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना पीएफआई और उसके सदस्यों के खिलाफ देशव्यापी तलाशी, हिरासत और गिरफ्तारी अभियान के बाद आई थी।
जिन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें हैरिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल शामिल हैं।