CJI DY Chandrachud: CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने क्यों पलटा अपने पिता का फैसला, मुख्य न्यायाधीश ने बताई ये वजह
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Justice YV Chandrachud) भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। CJI चंद्रचूड़ ने दो दफा अपने पिता के फैसले को पलटा हैं। पहला फैसला बहुचर्चित एडीएम जबलपुर केस में था।
CJI DY Chandrachud: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (50th Chief Justice of India) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) बीते कुछ समय से काफी चर्चा में हैं। खासतौर पर अपने पिता के दो फैसलों को पलटने के लिए वह सुर्खियों में रहे हैं। इसमें पहला केस एडीएम जबलपुर (ADM Jabalpur) का है और दूसरा मामला एडल्ट्री (case adultery) से जुड़ा है। इन दोनों केस में जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पिता से इतर फैसला दिया। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जजमेंट-जजमेंट होता है। इसको लागू करते हुए आपको बतौर जज अपने दिमाग का इस्तेमाल करना होता है।
CJI ने ये बात 19वें चीफ जस्टिस ईएस वेंकरमैया (19th Chief Justice ES Venkaramaiah) की याद में बेंगलुरु में आयोजित कार्यक्रम में कही। जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि, जजमेंट, जजमेंट होता है। एक जज के रूप में आपको अपने दिमाग और तर्कशक्ति का इस्तेमाल करना होता है। उन्होंने कहा कि मुझे मालूम था कि मैं अपने पिता के फैसले को पलट रहा हूं। बतौर जज हमारी ट्रेनिंग ही ऐसी हुई है।
CJI चंद्रचूड़ ने अपने पिता के दो फैसलों को पलटा
आपको बता दें कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। CJI चंद्रचूड़ ने दो दफा अपने पिता के फैसले को पलटा हैं। पहला फैसला बहुचर्चित एडीएम जबलपुर केस में था। इसमें इमरजेंसी (emergency) के दौरान नागरिकों के संवैधानकि अधिकारों की बात कही गई थी। 28 अप्रैल 1976 को जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Justice YV Chandrachud), पांच जजों की उस संविधान पीठ का हिस्सा थे। इस पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि इमरजेंसी के दौरान सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं और नागरिक अपनी सुरक्षा के संवैधानिक अधिकार के लिए अदालत का रुख नहीं कर सकते हैं। तकरीबन 41 साल बाद, जब ये केस रिव्यू के लिए सुप्रीम कोर्ट में आया तो, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने पिता के उस फैसले को पलट दिया।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने धारा 497 के खिलाफ दिया फैसला
दूसरा मामला एडल्ट्री से जुड़ा है। 1985 में तत्कालीन सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ (Justice YV Chandrachud) ने धारा 497 की वैधता को बरकरार रखा था। लेकिन जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू के लिए आया तो, उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने उस फैसले को पलट दिया। जो उस वक्त 5 जजों की पीठ का हिस्सा थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पिता के फैसले को पलटते हुए कहा कि फैसलों को वर्तमान समय के हिसाब से प्रासंगिक बनाना चाहिए।