Acharya Pramod Krishnam nishkasit : आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी से 6 साल के लिए किया गया निष्कासित, कुमार विश्वास ने कसा तंज

कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के आरोप में शनिवार को आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी से निष्कासित कर दिया। वहीं निष्कासित होने के बाद आचार्य का पहला रिएक्शन सामने आया है।

Acharya Pramod Krishnam nishkasit : आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी से 6 साल के लिए किया गया निष्कासित, कुमार विश्वास ने कसा तंज

Acharya Pramod Krishnam nishkasit: कांग्रेस की आंतरिक कलह और पार्टी द्वारा राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराने के खिलाफ बयान देने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया (Acharya Pramod Krishnam expelled from the party for six years) है। कांग्रेस ने अनुशासनहीनता के आरोप में शनिवार को आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

मल्लिकार्जुन ने किया निष्कासित

कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने एक बयान में कहा कि अनुशासनहीनता और बार-बार पार्टी विरोधी टिप्पणियों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने प्रमोद कृष्णम को तत्काल प्रभाव से छह साल की अवधि के लिए पार्टी से निष्कासित करने के उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आचार्य पर पार्टी विरोधी टिप्पणी के लिए ये कार्रवाई की गई। अब निष्कासन के बाद आचार्य प्रमोद का पहला बयान (Acharya Pramod's first statement after retirement) सामने आया है।

आचार्य का राहुल गांधी पर हमला

आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया। जिसके बाद उन्होने पहला रिएक्शन देते हुए राहुल गांधी पर तंज कसा है। प्रमोद कृष्णम ने अपने एक्स हैंडल पर राहुल गांधी को टैग करते हुए कहा- राम और राष्ट्र पर समझौता नहीं किया जा सकता। 

कुमार विश्वास ने भी कसा आचार्य पर तंज

आचार्य कृष्णम के पोस्ट के बाद कुमार विश्वास ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने आचार्य को पोस्ट पर रिट्वीट करते हुए एक पोस्ट में तुलसीदास की पंक्तियां लिखते हुए कांग्रेस को राम को प्यार न करने वाला बताया। कुमार की पंक्तियों का अर्थ है- जिस किसी को भी राम और सीता प्यारे नहीं है, उसे करोड़ों शत्रुओं के समान छोड़ देना चाहिए, चाहे वह अपना सबसे प्यारा ही क्यों न हो। प्रह्लाद ने अपने पिता (हिरण्यकशिपु) को, विभीषण ने अपने भाई (रावण) को और ब्रज-गोपियों ने अपने-अपने पतियों को त्याग दिया, परंतु ये सभी आनंद और कल्याण करने वाले हुए।