Railway insurance policy: भारतीय रेलवे मे कर रहे हैं यात्रा तो बीमा के बारे में जान ले ये अहम बातें।
Railway insurance policy: नई दिल्ली से बिहार के दरभंगा जाने वाली ट्रेन में 15 नवंबर को भीषण आग लग गई। अफरातफरी के बीच यात्रियों को बचाया गया। त्योहारों की वजह से ट्रेन में काफी भीड़ थी। इसीलिए आग लगने से यात्रियों में दहशत फैल गई।
Railway insurance policy: ट्रेनों मे अक्सर ही हादसे होते रहते हैं। जिसके बाद रेलवे छतिग्रस्त लोगों को कम्पनसेट करने का काम करता है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि अगर ट्रैन में आग लगने से हादसा होता है, या किसी भी तरह से हादसा होता है। तो क्या रेलवे मुआवजा देता है और अगर देता है तो इसके नियम क्या हैं। आज हम इसी बारे मे जानेंगे।
किसी भी ट्रेन हादसे को लेकर नियम क्या कहते हैं। पहले इसे जान लिजिए-
टिकट बुक करते समय ये किसी भी यात्री के लिए अनिवार्य नहीं होता है कि वो रेलवे (Railway) की ओर से दिया जाने वाला इंश्योरेंस (Insurance) ले ही यह यात्री की इच्छा पर होता है और जब कोई यात्री ट्रेवल इंश्योरेंस (Travel insurance) पर क्लिक करता है तब ही उनका इंश्योरेंस होता है। इस ट्रेवल के लिए हर यात्री को टिकट के हिसाब से 35 से 90 पैसे मात्र चार्ज के रूप में देने होते हैं।
ये इंश्योरेंस सिर्फ कन्फर्म आरएसी और पार्ट कन्फर्म टिकट वालों को ही इसका फायदा दिया जाता है। एक बार इंश्योरेंस (Insurance) खरीदने के बाद यात्री को और रजिस्टर्ड मेल आईडी पर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से जानकारी दे दी जाती है। ये मैसेज आने के बाद यात्री को इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर जाकर नॉमिनेशन की डिटेल भरनी होती है।
अगर कोई नोमिनेशन की डिटेल नहीं भरता है तो इसके बाद मुआवजा उनके लीगल वारिस को ही मिलता है और इसके लिए पहले दावा करना जरूरी होता है।
इस इंश्योरेंस (Insurance) में ट्रेन एक्सीडेंट की वजह से होने वाली मौत इंजरी पर कुछ मुआवजा राशि दी जाती है।
इस इंश्योरेंस में ट्रेन एक्सीडेंट (Train accident) के बाद यात्रियों को होने वाले अलग अलग नुकसान के आधार पर क्लेम दिया जाता है। इंश्योरेंस में मौत होने पर 10 लाख रुपये पर्मानेंट टोटल डिसेबिलिटी (disability) होने पर 10 लाख रुपये पर्मानेंट पार्शल डिसेबिलिटी होने पर साढ़े सात लाख रुपये घायल पर होने 2 लाख रुपये तक का अस्पताल का खर्चा और ट्रांसपोर्टेशन का 10 हजार रुपये मिलता है।
Railway Act- 1989 में इसके बारे में बताया गया है कि हादसे के बाद रेल प्रशासन का क्या दायित्व बनता है-
रेलवे अधिनियम 1989 के सेक्शन 124 के मुताबिक रेल हादसे में यात्रियों को लगी चोट घायल और सामान के नुकसान की जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन (Railway administration) की होती है। ट्रेनों के आपस में टकराने पटरी से उतरने ट्रेन में आग लगने या धमाका होने जैसी वजहों से हुए हादसों की स्थिति में रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन (Railway administration) कानून तौर पर निर्धारित किया गया मुआवजा देने के लिए बाध्य होता है।
अगर ट्रेन से सफर कर रहे यात्रियों के पर हिंसक हमले आतंकवादी हमले डकैती दंगा और गोलीबारी जैसी घटनाएं होती हैं। ऐसी स्थिति में भी नुकसान के लिए रेलवे प्रशासन ही जिम्मेदार होगा।
जहां एक तरफ रेल हादसे में मुआवजा देने के लिए नियम और शर्तें है। वहीं दूसरी तरफ यह भी बताया गया है कि किस स्थिति में रेलवे की तरफ से मुआवजा नहीं दिया जाएगा फिर चाहे आपने टिकट पर बीमा ले रखा हो या नहीं।
किस स्थिति में मुआवजा नहीं मिलेगा इसे भी जानिए-
- सफर के दौरान ट्रेन में खुदकुशी से मौत के मामले में किसी भी तरह के मुआवजे का प्रावधान नही है।
- अगर यात्रा के समय ट्रेन में पैसेंजर को चोट लगती है तो अपने चोट की वजह खुद होगा इसमें भी मुआवजा नही मिलेगा।
- यात्रा के दौरान दिमागी संतुलन बिगड़ा हो या नशे की वजह से यात्री के साथ हादसा होने पर भी मुआवजे को लेकर आप क्लेम नही कर सकते हैं।