UP Politics News : संगठन बड़ा, सरकार नहीं.. डिप्टी सीएम केशव के बयान के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हाल ही में एक बयान को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में डिप्टी सीएम पद पर उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाया गया है।
UP Politics News : उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद (Deputy CM Keshav Prasad) मौर्य के हाल ही में एक बयान को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका (Petition in Allahabad High Court) दाखिल की गई है। याचिका में डिप्टी सीएम पद पर उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाया गया है। पार्टी संगठन (Bharatiya Janata Party) को सरकार से बड़ा बताए जाने के बयान पर कार्रवाई किए जाने की मांग को लेकर यह याचिका दाखिल की गई है। अधिवक्ता मंजेश कुमार यादव (Advocate Manjesh Kumar Yadav) की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने संवैधानिक पद पर रहते हुए 14 जुलाई को सार्वजनिक तौर पर एक बयान जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार से बड़ा पार्टी का संगठन होता है।
डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर उठाया सवाल
दरअसल, 14 जुलाई को डिप्टी सीएम ने लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा (UP BJP News) के खराब प्रदर्शन पर बयान दिया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, "संगठन सरकार से बड़ा है.... संगठन से बड़ा कोई नहीं होता है! हर एक कार्यकर्ता हमारा गौरव है। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं।" उनके इस बयान से सियासी गलियारो में बवाल मचा हुआ है।
सीएम योगी और केशव में बढ़ी दूरियां
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में सीट कम आने के बाद सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) और केशव में दूरियां बढ़ गई हैं। लोकसभा के चुनाव के बाद केशव किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे। बता दें कि, इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के वकील मंजेश कुमार यादव ने कोर्ट मे याचिका दायर की है। कार्य समिति बैठक में सीएम योगी ने अपनी स्पीच मे कहा- 'अगर, सरकार को खरोंच आई तो उसका असर उन पर भी पड़ेगा। जो लोग अभी से उछल-कूद कर रहे हैं, उन्हें दोबारा ऐसा करने का मौका नहीं मिलेगा।'
एडवोकट मंजेश ने अपनी याचिका में लिखा
हाईकोर्ट के वकील (High Court lawyer) मंजेश कुमार यादव ने अपनी याचिका में लिखा- 'केशव मौर्य का यह कहना कि सरकार से बड़ा संगठन होता है, उनके पद की गरिमा को कम करता है। साथ ही सरकार की पारदर्शिता पर संदेह पैदा करती है। भाजपा, राज्यपाल और चुनाव आयोग, सभी की ओर से कोई प्रतिक्रिया या खंडन न करना, इस मुद्दे को और जटिल बनाता है। इसके साथ याचिका में केशव मौर्य के आपराधिक इतिहास का भी जिक्र किया गया है। कहा गया कि उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से पहले उन पर 7 आपराधिक मामले दर्ज हैं। वकील का तर्क है कि ऐसे रिकॉर्ड वाले किसी व्यक्ति को संवैधानिक पद पर नियुक्त करना गलत है।'