Geeta Press: गीता प्रेस के ट्रस्टी का निधन, 90 वर्ष की उम्र में ली आखरी सांस
गीता प्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल ने बीती रात अपने गोरखपुर स्थित आवास पर आखरी सांस ली, सीएम योगी आदित्यनाथ ने बैजनाथ अग्रवाल की मृत्यु पर गहरा दुख जताया है।
Geeta Press: गीता प्रेस (Geeta Press, Gorakhpur) के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल (Baijanth Agrawal) ने बीती रात अपने गोरखपुर स्थित आवास पर आखरी सांस ली, सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बैजनाथ अग्रवाल की मृत्यु पर गहरा दुख जताया है। बैजनाथ अग्रवाल का अंतिम संस्कार वाराणसी में गंगा तट पर होगा।
40 साल से थे गीता प्रेस के ट्रस्टी
गीता प्रेस को बुलंदियों तक पहुंचाने में बैजनाथ अग्रवाल का एक प्रमुख योगदान रहा है। जिसके चलते पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है। बैजनाथ अग्रवाल पिछले 40 साल से गीता प्रेस के ट्रस्टी थे।
गीता प्रेस, गोरखपुर के ट्रस्टी श्री बैजनाथ अग्रवाल जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ जी का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा है। उनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।
प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा… — Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 28, 2023
सीएम योगी ने जताया दुख
सीएम योगी ने दुख जताते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि- गीता प्रेस, गोरखपुर के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल जी का निधन अत्यंत दुखद है। उन्होंने आगे लिखा कि पिछले 40 सालों से उनका जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा है और उनका निधन समाज के लिए एक अपूर्णिय क्षति है।
गीता प्रेस का क्या है इतिहास
गीता प्रेस हिंदू धार्मिक ग्रंथों की दुनिया की सबसे बड़ा प्रकाशक है। इसकी स्थापना साल 1923 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक किराए के मकान में हुई थी। जयदयाल गोयनका, घनश्याम दास जलान और हनुमान प्रसाद पोद्दार ने मिलकर गीता प्रेस की नींव रखी थी। गीता प्रेस की स्थापना का उद्देश्य सनातन धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देना था।
कौन सी किताबें होती हैं प्रकाशित
गीता प्रेस हिंदू धार्मिक ग्रंथों जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस, रामायण, पुराण, उपनिषद, तुलसीदास और सूरदास के साहित्यों का प्रकाशन करती है। इसके अलावा यह प्रेस बच्चों में धर्म की समझ बढ़ाने वाली किताबों का भी प्रकाशन करती है।
गांधी शांति पुरस्कार से किया गया है सम्मानित
गीता प्रेस, गोरखपुर को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize 2021) दिया गया था। जानकारी के अनुसार गीता प्रेस की परंपरा है कि वह, किसी भी सम्मान को स्वीकार नहीं करता है। हालांकि सम्मान के घोषित होने के बाद बोर्ड मीटिंग में यह तय हुआ था कि गीता प्रेस सम्मान स्वीकार करेगी लेकिन इसके तहत आने वाली 1 करोड़ की राशि को स्वीकार करने से साफ मना कर दिया था। बता दें कि प्रेस की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर यह पुरस्कार गीता प्रेस को 2023 में दिया गया था।
क्या है गांधी शांति पुरस्कार
बता दें कि भारत सरकार हर साल गांधी शांति पुरस्कार देती है। इसे महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के मौके पर वर्ष 1995 में शुरु किया गया था। इस पुरस्कार के तहत एक करोड़ रुपये का अनुदान, प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका दी जाती है।