T-20 World cup 2024:भारतीय क्रिकेट टीम की जीत का कौन है असली हीरो?

भारतीय टीम ने टी 20 वर्ल्डकप 2024 जीत कर क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप में दूसरी बार विश्व क्रिकेट में अपनी बादशाहत कायम की है। इस जीत में कई ऐसे चेहरे थे जो पर्दे के पीछे से टीम को संवारने और तैयार करने में लगे थे। ये वो लोग थे जिन्होंने इस जीत की इबारत लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।स आदमी का नाम है डी राघवेंद्र, प्यार से इंडियन प्लेयर्स इन्हे रघु बुलाते है।

T-20 World cup 2024:भारतीय क्रिकेट टीम की जीत का कौन है असली हीरो?

T 20 World cup 2024: भारतीय टीम ने टी 20 वर्ल्डकप 2024 (t20 worldcup 2024) जीत कर क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप में दूसरी बार विश्व क्रिकेट में अपनी बादशाहत कायम की है। इस जीत में कई ऐसे चेहरे थे जो पर्दे के पीछे से टीम को संवारने और तैयार करने में लगे थे। ये वो लोग थे जिन्होंने इस जीत की इबारत लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ल्ड कप के दौरान टीम इंडिया (team india) के इर्द गिर्द ,माथे पर कुमकुम लगाए हुए एक सांवले रंग के आदमी को बहुत लोगो ने नोटिस किया होगा, पर आम सी शक्ल और कद काठी के इस इंसान को देखकर ,कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि विराट कोहली जैसा खिलाड़ी इनको अपनी कामयाबी की वजह बताता है। इसी वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा ने जब पेट कमिंस जैसे तेज गेंदबाज को घुटने पर बैठ कर स्टेडियम की छत पर छक्का मारा तो कई पुराने दर्शको को वो दौर याद आया होगा जब भारतीय खिलाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी तेज गेंदबाजी हुआ करती थी। पर आज हम भारतीय क्रिकेट के ऐसे दौर में है जहां ऋषभ पंत (Rishabh Pant) जेम्स एंडरसन (james anderson) जैसे गेंदबाज को रिवर्स स्वीप ऐसे मारते है जैसे दाल चावल का निवाला हो। इंडियन बैट्समैन फास्ट बोलिंग के सामने आज अचानक से बेखौफ नही हुई है,बल्कि इसके पीछे एक इंसान की ग्यारह साल की मेहनत का कमाल है। इस आदमी का नाम है डी राघवेंद्र, प्यार से इंडियन प्लेयर्स इन्हे रघु बुलाते है।

बस स्टैंड पर सोया, शमशान को बनाया अपना ठिकाना

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ा जिले के रघु भी करोड़ों भारतीयों की तरह एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, और करोड़ों भारतीयों की तरह उनके पिता को भी क्रिकेट बर्बादी का शौक लगता था। एक दिन ऐसे ही गुस्से में रघु के पिता ने लास्ट वार्निंग दी क्रिकेट छोड़ने की। फिर एक बैग और जेब में 21 रुपए लेकर रघु घर से निकल गए। एक हफ्ते हुबली के बस स्टैंड पर सोए, वहा से जब पुलिस ने भगाना शुरू किया, तो रघु भाग कर एक मंदिर में रहने लगे पर वहा भी ज्यादा दिन ठिकाना बना नही, फिर वहा से निकलकर उन्होंने एक शमशान में अपना ठिकाना बनाया और वही साढ़े चार साल तक एक टूटे कमरे में रहते रहे।

भूखे पेट भी रघु को यही लगता कि अब क्रिकेटर बन कर ही घर जायेंगे, पर उनके सपने को भूख तो नही तोड़ पाई पर एक हादसे में उनका दायां हाथ टूट गया। बोलिंग का सपना चकनाचूर होने के बावजूद रघु घर नही लौटे, क्युकी उन्हे अपने सपने, अपने प्यार क्रिकेट के ही आस पास रहना था चाहे जिस रूप में रहे।हुबली में ही वो दूसरे क्रिकेटर्स को बोलिंग प्रैक्टिस कराने लगे,फिर एक दोस्त के कहने पर बंगलोर गए वहा कर्नाटक क्रिकेट इंस्टीट्यूट में क्रिकेटर्स को प्रैक्टिस कराते हुए ऐसे ही एक दिन वो जवागल श्रीनाथ की नजर में आ गए। वहा से रघु कर्नाटक रणजी टीम का हिस्सा बने और फिर चिन्नवामी में नेशनल क्रिकेट एकेडमी में बिना किसी तनख्वाह के तीन चार साल काम करते रहे। 

अपने फील्ड के बुमराह है रघु

एनसीए में ही उन्होंने कोचिंग का कोर्स पूरा किया और वहा आने वाले इंडियन क्रिकेटर को प्रैक्टिस कराने लगे, फिर उन पर सचिन की नजर पड़ी, सचिन को समझ आया कि प्रैक्टिस कराना रघु के लिए काम नही बल्कि जुनून है। वहा से 2011 में वो भारतीय क्रिकेट के स्टाफ का हिस्सा बन गए। उसी दौरान रोबो आर्म नाम का एक इक्विपमेंट से क्रिकेटर्स प्रैक्टिस करते थे, रघु ने इस रोबो आर्म से गेंद फेंकते में बहुत महारत हासिल कर ली, धीरे धीरे रघु की एक्यूरेसी इतनी सटीक होती चली गई, कि उनकी गेंद 155 की रफ्तार से किसी इंटरनेशनल गेंदबाज की तरह प्रैक्टिस पिच पर गिरती थी।

रघु ही वो वजह है जिनकी 145 से 155 की रफ्तार वाली गेंदों पर प्रैक्टिस करके भारतीय खिलाड़ियों को मैच में 135 से 145 की स्पीड वाले बॉलर मीडियम पेसर लगते है। रघु दुनिया के अकेले साइड आर्म बॉलर नही है, पर रघु दुनिया के सबसे पैशनेट और एक्यूरेट साइड आर्म बॉलर बन चुके है, साफ भाषा में कहे तो ये साइड आर्म बोलिंग की दुनिया के बुमराह है। रघु प्रैक्टिस पिच पर भी ऐसे ही गेंद फेंकते है जैसे वो अपना बचपन का सपना जी रहे है, ये उनका जुनून ही था कि 2023 के वर्ल्ड कप में जब ओस की वजह से खिलाड़ियों के जूते में मिट्टी भर जा रही थी तो रघु एक ब्रश लेकर बाउंड्री के पास खड़े हो गए, और हर ओवर के बाद वो खिलाड़ियों के जूते से मिट्टी साफ करने लगें। रघु से इंसान ये सीख सकता है कि सपने कभी नहीं टूटते बस सपने को पूरा करने का एक रास्ता बंद होता है, पर अगर सच में आप अपने सपने से प्यार करते है तो उसे पूरा करने का कोई न कोई रास्ता आप निकाल ही लेंगे।