Swastik Sign: जानिए क्यों लाल रंग से ही बनाते है स्वास्तिक, हिंदू धर्म में क्या है स्वस्तिक का महत्व ?

हर घर में पूजा पाठ से पहले स्वास्तिक बनाया जाता है। जिसकी वजह से घर का वातावरण शुद्ध व सकारात्मकता से भरा रहता है।

Swastik Sign: जानिए क्यों लाल रंग से ही बनाते है स्वास्तिक, हिंदू धर्म में क्या है स्वस्तिक का महत्व ?

Swastik Sign: हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ काम की शुरुआत स्वास्तिक बनाकर की जाती है। मान्यता है कि किसी भी पूजा पाठ से पहले स्वास्तिक बनाने से वह काम बिना बाधाओं के पूरा हो जाता हैं। स्वास्तिक को भगवान गणेश का प्रतीक चिह्न माना जाता है। कहा जाता है कि इसकी वजह से घर-परिवार में सकारात्मकता बनी रहती है और नकारात्मकता दूर होती है। 

माना ये भी जाता है कि स्वास्तिक प्लस (+) के साइन की तरह दिखता है और इसमें चार भुजाएं होती है। धर्म महात्माओं के अनुसार हमें अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक अवश्य बनाना चाहिए, इससे घर का वातावरण शुद्ध व पवित्र रहता है और साथ ही घर से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है।

वास्तु दोष के लिए करें ये उपाय

सनातन धर्म में स्वस्तिक चिह्न को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। स्वस्तिक का चिह्न चारों दिशाओं से मंगल को आकर्षित करता है। स्वस्तिक के चिन्ह को सौभाग्य का सूचक माना गया है। स्वस्तिक चिन्ह को चंदन, कुमकुम या सिंदूर से बनाने पर ग्रह दोष दूर होतें है। साथ ही धन लाभ का योग बनता है। माना जाता है कि घर में स्वस्तिक का चिन्ह बनाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। 

लाल रंग से ही क्यों बनाते है स्वास्तिक

कहा जाता है कि लाल रंग व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्तर को काफी जल्द प्रभावित करता है। साथ ही यह रंग शक्ति का प्रतीक माना जाता है। कहते है कि सौर मण्डल में मौजूद ग्रहों में मंगल ग्रह का रंग लाल होता है, यह एक ऐसा ग्रह है जिसे साहस, बल, पराक्रम और शक्ति के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि स्वास्तिक को बनाने के लिए लाल रंग का प्रयोग शुभ माना जाता है।

स्वास्तिक से जुड़ी कुछ मुख्य बातें

  • हिन्दू धर्म में घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक जैसे शुभ चिह्न बनाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। माना जाता है कि अगर द्वार पर स्वास्तिक बनाते है तो इससे घर के वास्तु दोष दूर हो सकते हैं। स्वास्तिक कुमकुम के अलावा, चंदन, हल्दी, गोबर से भी बनाए जाते हैं।
  • हिन्दू धर्म में स्वास्तिक के साथ ही शुभ-लाभ लिखने की भी परंपरा है। जिसमें शुभ (क्षेम) और लाभ (गणेश) के पुत्र माने गए हैं। मान्यताओं के अनुसार गणेश जी की पूजा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
  •  घर या मंदिर में स्वास्तिक बनाते समय इस बात का ध्यान रखे कि स्वास्तिक बिल्कुल स्पष्ट और सुंदर बनना चाहिए। कभी भी अस्पष्ट या टेढ़ा स्वास्तिक न बनाएं। ऐसा करने से पूजा करते समय अगर टेढ़े स्वास्तिक पर नजर जाती है तो पूजा में एकाग्रता टूट सकती है।
  • वहीं कई लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए मंदिरों में उल्टे स्वास्तिक बनाते हैं। बता दें कि उल्टा स्वास्तिक मंदिर में तो बना सकते हैं, लेकिन इसे घर में नहीं बनाना चाहिए। घर में सदैव सीधा स्वास्तिक ही बनाना चाहिए ।

माना जाता है कि लाल और पीले रंग से ही स्वास्तिक बनाना चाहिए , लाल और पीले रंग के स्वास्तिक ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं।