DUSSEHRA 2023: विजयादशमी क्यों है बेहद खास?, जानिए-शस्त्र पूजा और रावण दहन का शुभ मुहूर्त

DUSSEHRA 2023: सनातन धर्म में विजयादशमी का विशेष महत्तव होता है। हर साल शारदीय नवरात्रि के समाप्ति के बाद दशहरा मनाया जाता है। जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता हैं।

DUSSEHRA 2023: विजयादशमी क्यों है बेहद खास?, जानिए-शस्त्र पूजा और रावण दहन का शुभ मुहूर्त

DUSSEHRA 2023: सनातन धर्म में विजयादशमी (vijayadashmi)का विशेष महत्तव होता है। हर साल शारदीय नवरात्रि के समाप्ति के बाद दशहरा मनाया जाता है। जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता हैं। प्रतिवर्ष आश्विन माह, शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। 

इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसी कारण विजयादशमी के अवसर पर श्रीराम के भक्त रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद का पुतला जलाते हैं और बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाते हैं। वहीं नवरात्रि के दौरान भक्त घर के मंदिर और पूजा-पंडालों में माता रानी की प्रतिमा स्थापित करते हैं, साथ ही दशमी तिथि के दिन मां दुर्गा की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। 

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का भी वध किया था। इसलिए इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। दशहरा के दिन बच्चों का अक्षर लेखन, गृह-प्रवेश, मुंडन, नामकरण, कर्ण छेदन और भूमि पूजन जैसे मांगलिक कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं, लेकिन विजयादशमी के दिन विवाह तय नहीं करना चाहिए।

कब है विजयादशमी ?  

पंचाग के अनुसार, साल 2023 में आश्विन माह शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट से शुरु होकर 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, इस साल 24 अक्टूबर 2023 को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

दशहरा के दिन सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। इसके बाद दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से  3 बजकर 37 मिनट तक पूजा कर सकते हैं।

शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त 

24 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से दोपहर 2 बजकर 43 मिनट तक शस्त्र पूजा कर सकते हैं।

रावण दहन का मुहूर्त

दशहरा के दिन प्रदोष काल में रावण दहन किया जाता है। इस दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 43 मिनट से करीब 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा इस समय रावण का दहन कर सकते है । 

इस दिन की खास बातें 

1 इस दिन भगवान राम-सीता और हनुमान की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
2  इस दिन करोड़ों रुपए के फूलों की बिक्री होती है और लोग अपने घर के दरवाजे फूलों की मालाओं से सजाकर उत्सव मनाते हैं।
3 विजय दशमी के दिन लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार सोना-चांदी, वाहन, कपड़े तथा बर्तनों की खरीददारी करते हैं।
4 विजयादशमी पर शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि महाभारत में पाण्डवों ने इस दिन युद्ध के समय शमी के पेड़ में ही अपने शस्त्र छिपाए थे।
5 रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव की आराधना की जाती है।
6 देशभर में रावण के पुतले जलाए जाते हैं।
7 दशहरे के दिन शहर-कस्बों और गांवों में श्रीराम-सीता स्वयंवर प्रसंग,रामभक्त हनुमान का लंकादहन कार्यक्रम, रामलीला का बखान करते हुए राम-रावण युद्ध के साथ रावण दहन किया जाता है।
8 इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है।
9 रावण दहन के बाद एक-दूसरे के घर जाकर दशहरे की शुभकामनाएं दी जाती हैं। गले मिलकर, चरण छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। शमी के पत्ते बांटे जाते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
10 जो लोग नौ दिनों के व्रत रखते हैं वे इस दिन वाहन पूजन करके वाहन से अपने विजय पथ पर निकलते हैं।