Ramesh Bidhuri News: बुरे फसे रमेश बिधूड़ी भरी संसद में बसपा नेता को अपशब्द कहना पड़ा महंगा, अब होगी कार्रवाई !

Ramesh Bidhuri News: संसद के विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में कुछ ऐसी घटना घटी जो अब लंबे वक्त के लिए नई संसद की इस तारीख में दर्ज रहेगी। दरअसल 21 सितंबर 2023 को बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने चंद्रयान-3 की उपलब्धियों पर चर्चा के दौरान बीएसपी के सांसद दानिश अली को अपशब्द कह डाला।

Ramesh Bidhuri News: बुरे फसे रमेश बिधूड़ी भरी संसद में बसपा नेता को अपशब्द कहना पड़ा महंगा, अब होगी कार्रवाई !

Ramesh Bidhuri News: लोकसभा (lok sabha) में गुरुवार रात 'चंद्रयान-3 की सफलता' पर एक चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी (BJP MP Ramesh Bidhudi) ने बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुँवर दानिश अली (BSP MP Kunwar Danish Ali) को निशाना बनाते हुए एक के बाद एक विवादित अपशब्द कहे। इसके बाद से ही सदन में हंगामा छिड़ गया और विपक्षी नेताओं ने दक्षिण दिल्ली (South Delhi) से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी (Ramesh Bidhudi) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर डाली। मिली जानकारी के मुताबिक स्पीकर ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद बिधूड़ी को ये कहते हुए चेतावनी दी है कि भविष्य में अगर ऐसा बर्ताव फिर से किया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

समाचार एजेंसी पीटीआई (PTI) के मुताबिक सदन मे मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense minister Rajnath singh) ने ऐसे दुर व्यवहार पर खेद जताया। वहीं सांसद दानिश अली (Danish ali) ने कहा मुझे उम्मीद है मेरे साथ न्याय किया जाएगा और स्पीकर इस मामले को संज्ञान मे लेकर कार्रवाई जरूर करेंगे और अगर ऐसा नहीं हुआ तो मै खुद इस सदन को छोड़ दूंगा। इसी बीच भाजपा (BJP) ने भी सांसद रमेश बिधूड़ी (RameshBidhudi) को ऐसी असंसदीय भाषा के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 


किसने क्या कहा

बसपा सांसद दानिश अली को लेकर विवादित टिप्पणी करने को लेकर सबसे पहली प्रतिक्रिया बीजेपी के अंदर से ही आई। बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी (BJP leader Mukhtar abbas naqvi) ने बिधूड़ी को अच्छी बात करने की सलाह दी। उन्होंने शुक्रवार 22 सितंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि भाई रमेश बिधूड़ी ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए. औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।" 

अथाह खाई है BJP- असदुद्दीन ओवैसी

बिधूड़ी के बयान को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी (Asaduddin Owaisi) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, ''इस वीडियो में चौंकाने वाला कुछ नहीं, बीजेपी एक अथाह खाई है, इसलिए हर दिन एक नया निचला स्तर मिल जाता है। मुझे भरोसा है कि इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। संभावना है कि आगे इन्हें भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा।'

आम आदमी पार्टी ने PM से किए सवाल

बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल पर आम आदमी पार्टी (AAP) सांसद संजय सिंह (MP Sanjay Singh) ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और पूछा, "पीएम मोदी (PM Modi) क्या आपके साथ संसद में आतंकवादी बैठते हैं? क्या आरएसएस में यही भाषा और संस्कार सिखाया जाता है। मैंने तो मणिपुर की हिंसा का मामला उठाया था, मुझे निलंबित कर दिया गया, अब इस गाली-गलौज करने वाले सांसद के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की जाएगी?"

कांग्रेस ने भी दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस (Congress) ने भी मामले को लेकर पीएम मोदी (PM Modi) पर निशाना साधा। अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल से पोस्ट करते हुए कांग्रेस ने कहा कि पीएम मोदी, क्या आपने अपने सांसद रमेश बिधूड़ी का ये बयान सुना? वह एक सांसद को ऐसी गालियां दे रहे हैं जो यहां लिखी नहीं जा सकतीं। पूरा विश्वास है आपने सुना ही होगा और अब आप इनका प्रमोशन जरूर करेंगे। 

क्या हो सकती है कार्रवाई

रमेश बिधूड़ी की विवादित टिप्पणी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि उनपर कार्रवाई की जा सकती है। बीजेपी (BJP) ने भी उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। सदन के सदस्य होने के नाते हर सांसद को कुछ विशेषाधिकार मिले होते हैं। रमेश बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार हनन से जुड़ा हुआ है। विशेशाधिकार हनन के मामले की जांच के लिए लोकसभा और राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति होती है।

ऐसे में अब स्पीकर के ऊपर निर्भर करता है कि वो मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेजना चाहता है या नहीं। अगर मामला समिति तक पहुँचता है तो जांच के बाद समिति संसद को रिपोर्ट देगी। इसके बाद सदन ही समिति के फैसले पर मुहर लगाता है। विशेषाधिकार हनन का दोषी पाए जाने पर सांसद को निलंबित किया जा सकता है या सदन से बहिष्कृत किया जा सकता है। 

क्या है पूरी प्रक्रिया

लोकसभा (Loksabha) के नियम 227 के तहत, सदन का कोई भी सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से दूसरे सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव ला सकता है। हालांकि, इससे पहले इसकी सूचना लोकसभा महासचिव को देनी होती है।

लोकसभा (Loksabha) में किसी सदस्य के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव आने के बाद ये स्पीकर पर निर्भर करता है कि वो इसकी अनुमति दें या न दें. लोकसभा स्पीकर चाहें तो इसे खारिज कर सकते हैं या मंजूर कर सकते हैं। अध्यक्ष की ओर से प्रस्ताव की अनुमति मिलने के बाद भी मामले को जांच-पड़ताल के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया जाता है। लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में 15 सदस्य होते हैं जबकि राज्यसभा की समिति में 10 सदस्य होते हैं. इस समिति का अध्यक्ष सत्ताधारी पार्टी का सांसद होता है. समिति में सभी पार्टियों के सांसदों को शामिल किया जाता है. हालांकि, किस पार्टी के कितने सांसद इसमें होंगे, ये उनकी संख्या पर निर्भर करता है। विशेषाधिकार समिति का काम प्रस्ताव पर जांच-पड़ताल करना है. इसके बाद समिति अपनी सिफारिशें देती है. सिफारिशों पर सदन में बहस भी होती है। 

दोषी पाया तो जेल भी जा सकते हैं

विशेषाधिकार हनने के अब तक कई मामले सामने आए हैं. अगर किसी संसद सदस्य को विशेषाधिकार हनन का दोषी पाया जाता है, तो ये सदन पर निर्भर करता है कि वो माफ करे, चेतावनी देकर छोड़ दे या जेल में भेज दे।